Saturday, March 25, 2017

संवाद

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Friday, March 17, 2017

शिक्षामित्र तो आरटीई एक्ट के दायरे में आते हैं।।


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कितनी अजीब बात है वो लोग जो खुद संविधान के अनुच्छेद 21क और राज्य सरकार की अनुकम्पा से एडहॉक पे नियुक्ति पा चुके हैं या फिर पाने की कोशिश में हैं ऐसे बीएड/बीटीसी बेरोज़गार उन शिक्षामित्रों को 21क पे बहस होगी बता रहे हैं जिन शिक्षामित्रों की नियुक्ति ही 21-A की बाध्यता के कारण हुई।

आइये हम उन तथाकथित बेरोज़गारों के नेताओं का सामान्य ज्ञान बढ़ा दें कि:- अनुच्छेद 21क और उसके अधीन निर्मित आरटीई एक्ट की वैधानिकता पर
पांच जजों की संविधान पीठ जिस में Chief Justice R.M. Lodha Justices A.K. Patnaik, *Dipak Misra, S.J. Mukhopadhaya and Ibrahim Kalifulla शामिल थे, अनुच्छेद 21क पर वृहद् चर्चा कर 174 पृष्ठ का फैसला सुना चुकी है। और अब इस पर किसी ख़ास बहस की गुंजाईश नहीं है। और अगर होगी तो अनुच्छेद 40, 41, और विशेष रूप से 43 पे होगी।

अब आइये हम बीएड/बीटीसी बेरोज़गारों को हाई कोर्ट के फैसले में से वो खंड पढ़वा दें जो इनकी हार का कारण बनेगा। जिसे सीजे ने इन शब्दों में लिखा:-
it would now be necessary to deal with the regulatory provisions contained, firstly in the NCTE Act and the later enactment of the RTE Act of 2009.
अर्थात ये ज़रूरी होगा कि शिक्षामित्र एनसीटीई और आरटीई एक्ट के दायरे में लाये जाएँ।
"मिशन सुप्रीम कोर्ट" के वर्किंग ग्रुप मेंबर्स रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी* अपने सीनियर वकील डॉ कॉलिन गोंजाल्विस और फ़िडेल सेबेस्टियन के माध्यम से 21क पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ चंद्रचूर्ण के ही उक्त शब्दों को साक्ष्य और तथ्यों के साथ सिद्ध करने की तैयारी की है।

जाके कोई कह दे, शोलों से, चिंगारी से।।

फूल इस बार खिले हैं, बड़ी तैयारी से।।

हम शिक्षामित्रों को एनसीटीई एक्ट और एनसीटीई के नियमानुसार नियुक्त होना सिद्ध करने में सक्षम हैं।बीएड/बीटीसी बेरोज़गारों के नेता तैयार रहे उनका वास्ता अब आम शिक्षामित्रों से पड़ा है। क्योंकि अब

★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

मौलिक नियुक्ति हमारा क़ानूनी और नैतिक अधिकार है।

C/P

याचिका संख्या 121/2016 प्रवेश बंसल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया की नाकामी और गंगादीन वर्मा की याचिका के रद्दी हो जाने के बाद बहुत से प्रयास हुए लेकिन कोई कामयाब नहीं हो सका, सभी का एक ही सेट डायलॉग है *समायोजन के फैसले के बाद ही होगा असमायोजितों का समायोजन।*
ऐसे में मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप ने पिछले छः माह में कई तरह से क़ानूनी आधारों का अध्ययन कर प्रयास किये और अंततः सफलता मिली और मिशन की याचिका स्वीकार हुई जिस पर एक विशेष बेंच में सुनवाई सुनिश्चित की गई है।
वहीँ दूसरी ओर प्रवेश बंसल की याचिका जोकि एसलपी 36033/2015 के समान मैटर पर आधारित होने के कारण टैग हो गयी जिस पर अब तक कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ इतना ही नहीं कोर्ट के दुबारा अंतिम समय देने के बाद भी लिखित बहस तक जमाँ नहीं की गयी है। साफ़ है इस पर कोई भी बहस समायोजन केस के अंत में ही होगी।
*जबकि मिशन की याचिका पर न सिर्फ सुनवाई होगी बल्कि एक विशेष पीठ द्वारा सुनवाई की जायेगी। इस याचिका का मुख्य आधार समान कार्य समान वेतन पर मौलिक नियुक्ति है। जिसके समर्थन में अकाट्य साक्ष्य पेश किये गए है जिसके कारण ये याचिका स्वीकृत हुई और सुनवाई हेतु सूचीवद्ध है।*
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

Thursday, March 16, 2017

शिक्षामित्रों संगठनों ने भाजपा में पैठ बनानी शुरू की

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प्रमुख संवाददाता
Updated: 15-03-17 06:33 PM
प्रमुख संवाददाता- लखनऊ
सपा सरकार की विदाई के साथ ही प्रदेश के लगभग पौने दो लाख शिक्षा मित्रों ने सत्ता में आने वाली नई पार्टी भाजपा में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है। शिक्षामत्र संगठनों ने भाजपा नेताओं प्रकाश जावेड़कर, स्वामी प्रसाद मौर्या, केशव प्रसाद मौर्या से मुलाकात कर अपना पक्ष रख दिया है उनके मामले की पैरवी में कोई कोताही न बरती जाए।
यह है मामला- सपा सरकार ने 2012 में अपने घोषणापत्र में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का वायदा किया था। इस वायदे पर अमल भी किया गया। वर्ष 2013 में शिक्षा मित्रों की दो वर्षीय ट्रेनिंग पूरी होने पर चरणबद्ध तरीके से इनका समायोजन शुरू भी किया गया। लगभग 1.30 लाख शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक बन गए और उनका वेतन 3500 से लगभग 30 हजार हो गया लेकिन हाईकोर्ट ने इनकी नियुक्ति को अवैध बताया। अवैध बताने के पीछे इन शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा पास न होना है।
इस फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सपा सरकार इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी भी कर रही है। शिक्षामित्रों के संख्याबल को इससे भी समझा जा सकता है कि 2014 के चुनाव में इनका जिक्र बार-बार आया।
अब जब सपा सरकार जा चुकी है तो शिक्षामित्रों ने नई सरकार में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है। हालांकि अपने मामले में केन्द्र से ढील दिलवाने के लिए ये पहले भी केन्द्रीय मंत्रियों से मिलते रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव का परिणाम निकलते ही इन शिक्षामित्र नेताओं दिल्ली में डेरा डाल दिया है और कई नेताओं से मिलकर अपना पक्ष फिर से सामने रखा है।
कई भाजपा नेताओं से बीते दिनों हमने दिल्ली जाकर मुलाकात की है। अपना पूरा पक्ष रखा है। सबने हमारे मामले में मजबूत पैरवी करने का वायदा किया है।
जितेन्द्र शाही, प्रदेश अध्यक्ष, आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन

Wednesday, March 15, 2017

उ.प्र. की भाजपा सरकार से बहुत उम्मीदें हैं

उ.प्र. की भाजपा सरकार से बहुत उम्मीदें हैं कि वो हमें हमारा अधिकार दे देगी लेकिन तभी जब हम माननीय उच्चतम न्यायालय से अपने पक्ष में आदेश ले आयें.........
और यदि कोई भी टेट बन्धु/नेता यह सोच रहा हो कि सब कुछ ऐसे ही मिल जाएगा तो याद रखना कि हर पार्टी/सरकार अपना वोट बैंक देखती है जो कि ये भी देखेगी शिक्षामित्रों को इसलिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान केशव प्रसाद मौर्य जी से मिलकर अपनी बात रखना अतिआवश्यक हो गया है.........
और दूसरा माननीय सुप्रीम कोर्ट में आगामी तारीख 7 अप्रैल को सुनवायी सुनिश्चित कराने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की अतिआवश्यकता है.........
हमारे कुछ बंधुवर लखनऊ आंदोलन का विचार बना रहे हैं तो हमारी समझ से अभी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि सरकार का पहले रूख स्पष्ट होने दिया जाए क्योंकि आंदोलन तो अंतिम अस्त्र है और यदि बहुत अधिक मात्रा में हमारे टेट साथी भी नहीं गये तो भाजपा सरकार को एक गलत संदेश और चला जाएगा इसलिए अभी समय है सिर्फ ठोस रणनीति बनाकर चौतरफा प्रयास करके अपने लक्ष्य के करीब तक जाने का.........
बाकी आप सबकी अपनी समझ क्योंकि जिन्दगी भी आपकी है।

नोट : ये सत्य है कि भाजपा सरकार कोर्ट के आदेशों का पालन करती है और हम सब आरटीई एक्ट के अन्तर्गत वर्ष 2011 से ही सहायक अध्यापक बनने के पात्र हैं।
आपका भाई
प्रवीण राजौरा
उत्तर प्रदेश टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
बुलंदशहर

भारत में शिक्षक के पेशे की प्रतिष्ठा जड़ से खत्म : कोई बच्चा मजबूरी में भी शिक्षक नहीं बनना चाहता, इसकी जवाबदेही लेने को सरकारें क्यों तैयार नहीं?

मुझे अब तक यह याद नहीं पड़ता कि कभी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, दोनों ने एक ही दिन एक ही विषय पर सार्वजनिक भाषण दिया हो। लेकिन इस बार शिक्षक दिवस के मौके पर, इसके एक दिन पहले दोनों ने देश के बच्चों को संबोधित किया। क्या इसका अर्थ यह निकाला जाए कि सरकार को अचानक शिक्षकों या शिक्षा का महत्व समझ में आ गया है और उनकी समस्याओं को लेकर वह बेहद सचेत हो गई है?
आज शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या यही है कि बिना अधिकार के वह केवल कार्यपालिका के आदेशों का पालन करने वाले बने हुये हैं जहां उन्हें केवल आए हुये ऊपर के नियम कानून और फरमान  का पालन भर करना होता है। और सबसे बड़ा अजूबा यह कि हर नीति के फेल होने का भी वह एकमात्र उत्तरदायी भी। ऐसे नकारात्मक माहौल में आपको नौकरी करने वाले ही मिलेंगे, शिक्षक कतई नहीं। 
अफसोस कि न तो पीएम और न ही महामहिम की बातों से लगा कि सरकार के पास शिक्षकों को लेकर कोई ठोस योजना है। प्रेजिडेंट ने अपने बचपन के संस्मरण सुनाए और राजनीतिक इतिहास का पाठ पढ़ाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षक कुम्हार की तरह बच्चों का जीवन संवारता है, उनमें अच्छे संस्कार भरता है। शिक्षकों को महान बताने वाली ऐसी उक्तियां दुनिया भर में सदियों से कही-सुनी जाती रही हैं। भारत में इसके लिए एक दिन तय है, लिहाजा यहां रस्म अदायगी कुछ ज्यादा ही धूमधाम से की जाती है।






जबकि  सचाई यह है कि समय बीतने के साथ आज भारत में शिक्षक के पेशे की प्रतिष्ठा जड़ से खत्म हो चुकी है और इसका जनाजा निकालने में सरकारों की और सरकारी नीतियों की एक बड़ी भूमिका रही है। सरकारों  के नजरिए से शिक्षकों की योग्यता कोई मुद्दा नहीं है। उनका चयन और पदस्थापन केवल चुनावी एजेंडा से ज्यादा कुछ नहीं। आज कोई बच्चा मजबूरी में भी शिक्षक नहीं बनना चाहता है, आखिर यह स्थिति की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही सरकारें लेने को क्यों तैयार नहीं?
सरकारी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर और कार्यपालन इतना खराब है कि किसी शिक्षक में पढ़ाई-लिखाई को लेकर कोई स्वत:स्फूर्त प्रेरणा हो तो वह भी दो-चार साल में जाती रहती है। दूसरी तरफ हर तरफ कुकुरमुत्तों की तरह खुल रहे प्राइवेट स्कूल बिना किसी नियम कानून के चलते हैं। बेरोजगारी के मारे हुए जो लोग इनमें टीचर बनने जाते हैं, उनसे प्राय: बेहद कम पैसे में काफी ज्यादा काम कराया जाता है। ऐेसे में उनसे कुछ बेहतर या क्रिएटिव करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
स्कूलों की बजाय अब प्रोफेशनल शिक्षक अब प्राइवेट ट्यूशन लेने या कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाने को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं, क्योंकि वहां पैसे ज्यादा मिलते हैं। उच्च शिक्षा की स्थिति इससे कुछ अलग नहीं है। बड़े विश्वविद्यालयों को छोड़ दें, तो प्राय: सभी जगह कुलपति से लेकर शिक्षकों तक की नियुक्ति में कोई न कोई ‘जुगाड़ लिंक’ चलता है। सबसे बुरा हाल तकनीकी शिक्षण संस्थानों का है। प्रोफेशनल कॉलेजों में तो गिनती के प्रोफेसर गेस्ट का चोला ओढ़कर एक साथ कई संस्थानों में पढ़ा रहे हैं।
कहने का आशय यह है कि सरकारें अगर शिक्षकों और शिक्षा को लेकर वास्तव में चिंतित है तो उसे शिक्षा का एक लंबा अजेंडा बनाकर काम करना ही होगा। नहीं तो शिक्षक दिवस आते रहेंगे, भाषण होते रहेंगे। 

भारत की प्राथमिक शिक्षा नीतिगत बदलाव के दौर

21वीं सदी में भारत की प्राथमिक शिक्षा नीतिगत बदलाव के दौर से गुजर रही है. इस नीतिगत बदलाव की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अनेक कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं. कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए रणनीतियों की शृंखला बनाई जा रही है. इस सभी का उद्देश्य एक है कि शिक्षा के क्षेत्र में सीखने के संकट (लर्निंग क्राइसिस) का समाधान कैसे खोजा जाए? शिक्षा का अधिकार कानून 2009 लागू होने के बाद से स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ा है. स्कूलों में बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करने और बच्चों का प्रदर्शन बेहतर करने की रणनीतियों पर अमल की कोशिशें हो रही हैं. शिक्षा को आनंददायक बनाने के प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

स्कूलों में भयमुक्त वातावरण बनाने की रणनीतियों पर विमर्श हो रहा है. स्कूल और समुदाय के बीच संवाद शुरू करने के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति को सक्रिय बनाने. बच्चों के माता-पिता और अभिभावकों को स्कूल में बुलाने और बच्चों की शैक्षिक प्रगति से उनको अवगत कराने की बात हो रही है. शिक्षा को बच्चों के मौलिक अधिकार के रूप में देखने की कोशिश हो रहा है ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे. हर बच्चे को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा के दायरे में लाने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संगठनों के तरफ़ से काफ़ी प्रयास हो रहे हैं. सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना शिक्षा के क्षेत्र में संचालित होने वाले तमाम कार्यक्रमों का प्रमुख उद्देश्य है.

इसे हासिल करने के लिए शिक्षाविद्, शैक्षिक प्रशासन से जुड़े अधिकारी, शिक्षक और शिक्षक प्रशिक्षक अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे हैं. बच्चों का मूल्यांकन करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि बच्चों के शैक्षिक प्रदर्शन में होने वाले बदलाव की सैद्धांतिक व्याख्या हो सके. बदलाव को आँकड़ों में प्रस्तुत किया जा सके. लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की कोई भी योजना अल्पकाल में शैक्षिक स्तर बढ़ाने जैसे लक्ष्य को हासिल करने के लिए सही रणनीति, बेहतर समझ और ज़्यादा समन्वय के साथ काम करने की जरूरत को महत्व देती है. आज बात बच्चों में सीखने की समस्याओं के समाधान में उठाए जा सकने वाले संभावित क़दमों की….

शिक्षकों की संख्याः विद्यालयों में सीखने का माहौल बनाने और बच्चों को प्रेरित करने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अगर सरल शब्दों में कहें तो स्कूल एक ऐसी जगह है जहाँ छात्र-शिक्षक आपस में विभिन्न शैक्षणिक सामग्री का उपयोग करके संवाद और बातचीत के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं. अध्यापक अपने अनुभवों को समृद्ध करता है. बच्चे पुराने अनुभवों के ज़मीन पर नए अनुभवों को जोड़ते हुए ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया से अवगत होता है. यहाँ वह पढ़ना-लिखना, खुद को अभिव्यक्त करना, बाकी बच्चों के साथ समायोजन करना, खेल और अन्य सामूहिक गतिविधियों में शामिल होने का कौशल विकसित करता है. अगर किसी स्कूल में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित नहीं है तो बच्चों के सीखने की प्रक्रिया बाधित होती है.

भारत में एकल शिक्षक स्कूलों की स्थिति बताती है कि आने वाले दस-बीस सालों में भी यथास्थिति का यह माहौल टूटने वाला नहीं है. नई नियुक्तियों के लिए सरकार तैयार नहीं है. तमाम पद खाली पड़े हैं. 12वीं पास लोगों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जा रही है, इससे स्थिति ढाक के तीन पात वाली ही बनी रहती है. इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दीर्घकालीन रणनीति में छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर व संतुलित बनाने की दिशा में सरकारी प्रयासों की गति देने की जरूरत है. इसके अभाव में तमाम रणनीति और कार्यक्रम आधे-अधूरे उद्देश्यों की प्राप्ति में ही सफल होंगे. हम यह कह सकते हैं कि अगर सभी बच्चों को शिक्षित करने का उद्देश्य सामने है तो संभव है कि यह उद्देश्य साक्षरता के दायरे से थोड़ा ही आगे बढ़ पाए. देश के लिए मानव संसाधन की गुणवत्ता और भविष्य में वैश्विक स्तर पर चुनौतियों के समाधान की दिशा में इसे बेहतर रणनीति नहीं माना जा सकता है. इस क्षेत्र में पर्याप्त सुधार की गुंजाइश है.

एक स्कूल में 200 के आसपास बच्चे हैं. उस स्कूल में केवल चार शिक्षक हैं. यहाँ आठवीं तक की पढ़ाई होती है. शैक्षिक सत्र के दौरान शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति भी होती है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. शिक्षकों का उत्साह नीचे गिरता है. बच्चों को लगता है कि शिक्षक पढ़ाते नहीं. अभिभावकों को लगता है कि स्कूल ख़राब है. बच्चे का नाम किसी और स्कूल में लिखवाना चाहिए. आदिवासी अंचल और गाँवों में समस्या है कि कोई अध्यापक वहाँ जाना नहीं चाहता. अगर कोई आता भी है तो स्थानांतरण के बाद उस क्षेत्र से वापस चला जाता है. एक शिक्षके के भरोसे सारी जिम्मेदारी होती है. हाल के दिनों में स्कूलों में आँकड़ों का काम बढ़ा है. शिक्षकों के प्रशिक्षण दिवसों की संख्या बढ़ी है. इस तरह की परिस्थितियों के कारण बच्चों के सीखने की गुणवत्ता और माहौल दोनों प्रभावित होता है. इसलिए स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों का होनवा किसी स्कूल के सफल संचालन की एक आवश्यक शर्त है. संसाधनों के अभाव में शिक्षा के तमाम लक्ष्यों से अध्यापकों को समझौता करना पड़ता है. इसके लिए केवल उनको दोषी मानना ठीक नहीं है. क्योंकि वर्तमान में पाठ्यक्रम को बोझ पहले के तुलना में काफ़ी बढ़ गया है. एक शिक्षक को एक ही कक्षा में ढेर सारे विषय पढ़ाने होते हैं.

भविष्य के संदर्भ में एक बात काबिल-ए-ग़ौर है कि सभी क्षेत्रों में अभिभावकों के पास बच्चों की शिक्षा को लेकर पर्याप्त विकल्प नहीं होते. बड़े शहरों में नर्सरी में प्रवेश के लिए होने वाली मारामारी से पूरी स्थिति की एक झलक मिलती है. दिल्ली में बच्चों के नर्सरी में प्रवेश का मामला पिछले कई महीनों से हाईकोर्टे से सुप्रीम कोर्ट तक अटक रहा है. इससे आने वाले दिनों की जटिलता की थोड़ी सी झलक मिलती है कि जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ बेहतर शिक्षा का माँग और सीमित विकल्पों में हिस्सेदारी के लिए होने वाली प्रतिस्पर्धा बढ़ने वाली है. इस तरह की चुनौतियां बताती हैं कि सरकार को पूर्व प्राथमिक शिक्षा (नर्सरी शिक्षा) पर भी पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत है ताकि एक मजबूत आधार के साथ बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें. अभी नर्सरी के स्तर पर प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति से सरकार पीछे हटती रही है. लेकिन राजस्थान में पिछले साल कुछ शिक्षकों को बालवाड़ी में नियुक्त करने के बाद नर्सरी शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की उपयोगिता स्वीकार ली गई है. अब बात पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति और उनके बेहतर प्रशिक्षण की होनी चाहिए ताकि देश के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा का अवसर मुहैया कराया जा सके.

बी एड टैट की पहली पसंद केशव प्रसाद मौर्य है

बी एड टैट की पहली पसंद केशव प्रसाद मौर्य है ।
बाकि कोई भी बने हमारी बात तो माननी ही पड़ेगी ।
मित्रो हमारा सभी अग्रणी लोगो का निर्णय हुआ है कि आपाधापी में एकत्र होने के निर्णय में कही हमारा संख्या बल काम न रह जाये । इसलिए हम कल लखनऊ में ही सभी लोग मीटिंग करेंगे और वहीँ एक प्रतिनिधिमंडल शीर्ष नेताओं से मुलाकात करके अपनी मुख्य मांग उनके सामने रखेगा और किस प्रकार उनका समर्थन किया है और जेवत में कितनी बड़ी भूमिका अदा की है वह बताएगा ।
बाकि ऐसी रणनीति के तहत के तहत इकठ्ठा होने का समय रखा जायेगा जिससे हम भारी संख्या में एकत्र हो सके । इस बार अगर कमजोर रह गए तो ख़त्म हो जायेंगे इसलिए कोई भी अपने स्वार्थ के लिए अकेला कुछ न करे । सिर्फ अपने विधयकों पर दबाव बनाए ।
साथियो हम सभी अपने अपने तरीको से लगे है यह बिलकुल भी न सोचे कि हम खाली है ।
सभी साथियो से निवेदन है जिस दिन आव्हान किया जाये एक भी साथी नहीं रुकना चाहिए सभी एक आवाज पर लखनऊ के लिए तैयार रहे ।
नोट--- सभी साथियो से निवेदन है कि आप सभी माननीय नरेंद्र मोदी जी के ट्विटर पर गूगल में जाकर मुख्यमंत्री पद के लिए माननीय केशव प्रसाद मौर्य जी के लिए समर्थन करे । आज ही मित्रो बहुत फेसबुक चलाते हो और अपने मित्रो से रिश्तेदारों से भी करवाओ ।
संघे शक्ति सर्वदा

Tuesday, March 14, 2017

आज भी शिक्षा मित्रों के ऊपर संकट के बादल मँडरा रहे है

साथियो प्रणाम -----
जैसा की आपको विदित है की आज भी हम शिक्षा मित्रों के ऊपर संकट के बादल मँडरा रहे है आज एक छोटी सी भूल भी हमारे पूरे जीवन को बरबाद कर सकती है ।लेकिन आज भी हमारे बीच कुछ जयचंद मौजूद है जो की हमारी एकता को खंडित करने का प्रयास कर रहे है ऐसे लोग आज हमे  भ्रमित करके संघ ,टीम ,tet पास , मे बांटकर हमारी एकता ओर ताकत को तोड़ने,बाँटने का काम कर रहे है ।जबकि आप अच्छी तरह जानते है की आज पूरे प्रदेश मे शिक्षा मित्र एकता की मिसाल दी जाती है ।अगर आज शिक्षा मित्रों का कोई सच्चा हितैषी है तो वो केवल उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ है क्योंकि आज हम जिस पायदान पर खड़े है वो केवल शिक्षा मित्र संघर्षों ओर uppsms संगठन की ही देन है ।साथिओ पिछली 5 अक्टूबर ओर उससे पहले भी सभी तारीखों पर संगठन ने अपने वकीलों का पूरा पेनल सुप्रीम कोर्ट मे उतारा और कोई भी कसर ऐसी नही छॊडी जिससे की कोई शिक्षा मित्रों का अहित कर पाता इसके बाद ट्रैनिंग को लेकर विरोधियों ने सुप्रीम कोर्ट मे जो चाल चली उसको भी वार -वार  नाकाम किया गया है।आने वाली 17 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट मे होने वाली सुनवाई मे आज सभी पूरी तैयारियाँ कर ली जायेगी जिसके लिये रात हम ,अभिषेक श्रीवास्तव जी के साथ दिल्ली पहुँच चुके है ताकि विरोधियों को sc मे   एक वार फिर धूल चटाई जा सकें ! लेकिन बड़ा अफसोस होता है कई जब कुछ कुकुरमुत्ते सीधे साधे शिक्षा मित्रों को बरगलाकर चंदे के नाम पर मोटी रकम वसूल लेते है लेकिन सुनवाई के दौरान उनका कोई वकील कोर्ट मे दिखाई भी नही देता है ।
साथियों अभी 13 नवम्बर को उत्तर प्रदेश मे सर्वोच्च योग्यता,सफेद ईमानदारी की प्रतीक tet 2011की दुर्लभ अंकतालिका की समय सीमा समाप्त होने के बाद 5 अक्टूबर को शिक्षा मित्रों के समस्त केस मेन्सन होने से bed के साथ ही 17 नवम्बर कोसुप्रीम कोर्ट मे date लगी हुई है जिसमे bed वाले अन्त मे एक वार पुनः शिक्षा मित्र समायोजन पर जोरदार हमला बोलने की तैयारी कर रहे है इन सब को देखते हुये हमे भी अच्छे वकील व मेहनत की ज़रूरत है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट 1100 याचीओ को एडहोक पर नियुक्ति दे चुका है और अब तक B.ed वाले लाखो लोग याची बन चुके है यदि हमने 17 नवम्बर को  को अच्छे वकील कोर्ट मे खड़े नही किये और कोर्ट द्वारा सभी याचिओं को एडहोक पर सभी को नियुक्ति दे दी गयी तो पदों की कमी हो जायेगी ऐसी स्थिति मे न तो अवशेष का समायोजन हो पायेगा और आने वाले समय मे समायोजीत शिक्षा मित्रों को 12 सितम्बर जैसा दिन देखना पड़ सकता है ! ।इसलिए आप आप सभी समायोजित शिक्षा मित्रों को आगाह किया जाता है की कोर्ट मेटर व अपने भविष्य को देखते हुए न्यायिक संघर्ष शुल्क आज अवश्य रुप से संघ के खाते मे देने का कष्ट करे तथा किसी के बहकावे मे कतई न आये जिससे की हर वार की तरह इस वार भी sc मे विरोधियों को बुरी तरह से धूल चटाई जा सके !

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र एसोसिएशन


           

ईवीएम के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं



*क्यों नहीं हो सकती है ईवीएम मशीन से छेड़छाड़, जानिए 8 जरूरी कारण*

देश में पांच राज्यों में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने वाले कुछ दलों ने सीधे ईवीएम पर दोष मढ़ दिया है.
 ईवीएम पर दोष का मतलब बात चुनाव आयोग पर आ रही है. कहा जा रहा है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई है.

 अब चुनाव आयोग ने साफ किया है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. क्यों ??
पढ़ें यह खास कारण-

1. ईवीएम में इंटरनेट का कोई कनेक्शन नहीं होता है, इसलिए इसे ऑनलाइन होकर हैक नहीं किया जा सकता.

2. किस बूथ पर कौन सा ईवीएम जायेगा, इसके लिए रैंडमाइजेशन की प्रक्रिया होती है, अर्थात सभी ईवीएम को पहले लोकसभा वार फिर विधानसभा वार और सबसे अंत में बूथवार निर्धारित किया जाता है और पोलिंग पार्टी को एक दिन पहले डिस्पैचिंग के समय ही पता चल पाता है कि उसके पास किस सीरीज का ईवीएम आया है. ऐसे में अंतिम समय तक पोलिंग पार्टी को पता नहीं रहता कि उनके हाथ में कौन सा ईवीएम आने वाला है.

3. बेसिक तौर पर ईवीएम में दो मशीन होती है, बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट. वर्तमान में इसमें एक तीसरी यूनिट वीवीपीएटी भी जोड़ दिया गया है, जो 8 सेकंड के लिए मतदाता को एक पर्ची दिखाता है जिसमें ये उल्लेखित रहता है कि मतदाता ने अपना वोट किस अभ्यर्थी को दिया है. ऐसे में अभ्यर्थी बूथ पर ही आश्वस्त हो सकता है कि उसका वोट सही पड़ा है कि नहीं।
अब कौन सी Evm इस बार Vvpat मशीन के साथ जुड़ेगी, यह आख़िरी  Randomisation के बाद ही तय होता है, और Randomisation की यह पूरी प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा अभिहित प्रेक्षकों की
देख रेख में सम्पन्न होती है।।

4. वोटिंग के पहले सभी ईवीएम की गोपनीय जांच की जाती है और सभी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही ईवीएम को वोटिंग हेतु प्रयुक्त किया जाता है

5. सबसे बड़ी बात वोटिंग के दिन सुबह मतदान शुरू करने से पहले मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी द्वारा सभी उम्मीदवारों के मतदान केन्द्र प्रभारी या पोलिंग एंजेट के सामने मतदान शुरू करने से पहले मॉक पोलिंग की जाती है और सभी पोलिंग एंजेट से मशीन में वोट डालने को कहा जाता है ताकि ये जांचा जा सके कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट गिर रहा है कि नहीं. ऐसे में यदि किसी मशीन में टेंपरिंग या तकनीकि गड़बड़ी होगी तो मतदान के शुरू होने के पहले ही पकड़ ली जायेगी.

6. मॉक पोल के बाद सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एंजेट मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी के प्रभारी को सही मॉक पोल का सर्टिफिकेट देते है. इस सर्टिफिकेट के मिलने के बाद ही संबंधित मतदान केन्द्र में वोटिंग शुरू की जाती है. ऐसे में जो उम्मीदवार ईवीएम में टैंपरिंग की बात कर रहे हैं वे अपने पोलिंग एंजेट से इस बारे में बात कर आश्वस्त हो सकते है.

7. मतदान शुरू होने के बाद मतदान केन्द्र में मशीन के पास मतदाताओं के अलावा मतदान कर्मियों के जाने की मनाही होती है, वे ईवीएम के पास तभी जा सकते है जब मशीन की बैट्री डाउन या कोई अन्य तकनीकि समस्या होने पर मतदाता द्वारा सूचित किया जाता है. हर मतदान केन्द्र में एक मतदाता रजिस्टर बनाया जाता है -17 A , इस रजिस्टर में मतदान करने वाले मतदाताओं की डिटेल अंकित रहती है और रजिस्टर में जितने मतदाता की डिटेल अंकित होती है, उतने ही मतदाताओं की संख्या ईवीएम में भी होती है.

मतदान समाप्ति के बाद Evm सभी एजेंट्स के सामने सील की जाती है ।।
सभी एजेंट्स को सील पर अंकित नंबर दिया जाता है जिसको वो काउंटिंग शुरू होने के पहले मिलान करके आश्वस्त हो लेते हैं कि Evm की सील खुली नही है ।

अंदर की तरफ की सील , जो मतदान शुरू होने के ठीक पहले लगाईं जाती है, उसका नंबर भी एजेंट्स के पास होता है, और वो Evm खुलने पर उसका भी मिलान कर आश्वस्त होते हैं ।।
 काउंटिंग वाले दिन इनका आपस मे मिलान सभी एजेंट्स के सामने मतदान केंद्र प्रभारी (presiding officer) की रिपोर्ट के आधार पर होता है.

8. मतदान समाप्त होने के बाद सभी एजेंट्स के सामने क्लोज बटन दबा कर मतदान समाप्त किया जाता है, और तुरन्त ही उनके सामने उपरोक्त प्रक्रिया के अनुसार Evm सील कर दी जाती है।
एक बार क्लोज बटन दबा देने के बाद Evm तब तक अगला वोट नही लेती जब तक की ( Evm की सील तोड़ कर )Evm को रिसेट बटन दबा कर उसको Zero पर न ला दिया जाए ।

9. Evm में यह समय स्थायी रूप से दर्ज रहता है कि उसको आखिरी बार कब क्लोज किया गया।
सो, एक बार क्लोज बटन दबा कर मतदान समाप्त होने के बाद यदि दुबारा Evm खोली गयी तो पुराना सही समय प्रदर्शित नही होगा।

10.एक बार सीलबंद होने के बाद evm सीधे काउंटिंग स्थल पर ही खुलती है।
वहाँ भी सभी उम्मीदवारों के एजेंट्स रहते हैं।
पूरी काउंटिंग प्रक्रिया की निरन्तर वीडियोग्राफी होती है।।

सीलबन्द Evm जहां जिस सीलबन्द स्ट्रांग रूम में रखी जाती है, वहाँ भी 24 घण्टे cctv कैमरे लगे रहते हैं ।
यहां तक की सीलबन्द Evm को जब सीलबन्द स्ट्रांग रूम से काउंटिंग हेतु निकाल कर काउंटिंग स्थल पर लाया जाता है, तो भी उन सभी गलियारों में भी cctv लगी होती है जिनसे होकर सीलबन्द Evm गुजरती
है ।

11. सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम टैंपरिंग से संबंधित जितने भी मामले पहले आये उनमें से किसी भी मामले में ईवीएम में टैंपरिंग सिद्व नहीं हो पाई है.
स्वयं चुनाव आयोग
आम लोगों को आंमत्रित करता है कि वे लोग आयोग जाकर ईवीएम की तकनीक को गलत सिद्व करने हेतु अपने दावे प्रस्तुत करें. लेकिन आज तक कोई भी दावा सही सिद्व नहीं हुआ है.


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अब मतदाता जागरूक है ।।
वह अपना फैसला लेने के लिए आजाद है। इस "आजादी" को सुरक्षित रखने के लिए चुनाव आयोग "जीरो टॉलरेन्स" पर कार्य करता है।

चुनाव के महायज्ञ में लगे सभी मतदान कार्मिक पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं ।
किसी को अपनी नौकरी नही गंवानी ।।

मुख्य चुनाव आयुक्त
श्री टी एन शेषन जी के कार्यकाल से ही चुनाव में पारदर्शिता और ईमानदारी काफी हद तक आने लगी ।।

और अब तो इस मुकाम तक पारदर्शिता आ चुकी है कि शक की कोई गुंजाइश ही न रही ।।

फिर भी,
भारतीय लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का पूरा हक है , क्योंकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।।

शिक्षामित्र का चयन संविदा कर्मी के रूप में 11 महीने के लिए हुआ है



इनका चयन ग्राम शिक्षा समिति द्वारा होता था ।
मेरी टीम के संरक्षक विजयराज सिंह का चयन प्रथम चरण में शिक्षामित्र पद पर हो जाता।
मेरिट में वो टॉप पर थे परंतु उनकी उम्र दो वर्ष अधिक थी ।
इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट से बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में आरक्षित वर्ग के लिए मिली उम्र की छूट के तहत छूट मांगी ।
BSA इलाहाबाद ने काउंटर लगाया कि शिक्षामित्रों का चयन बेसिक शिक्षा नियमावली से नहीं हुआ है , इनका चयन मात्र संविदा कर्मी के रूप में 11 महीने के लिए हुआ है अतः आरक्षण की बात लागू नहीं होगी ।
इस प्रकार विजय राज भाई शिक्षामित्र नहीं बन सके ।
RTE एक्ट लागू होने के बाद शिक्षामित्र योजना बंद कर दी गयी ।
इस प्रकार शिक्षामित्र अध्यापक नहीं थे मगर दिनांक 4 जनवरी 2011 को उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी दिखाकर शिक्षामित्रों को कार्यरत शिक्षक बताकर NCTE से सरकार ने शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण हेतु इजाजत मांगी तथा दिनांक 14 जनवरी 2011 को इजाजत मिल गयी ।
जबकि दिनांक 23 अगस्त 2010 को भारत सरकार के राजपत्र से बीएड वालों को नियुक्ति की छूट मिल गयी थी मगर राज्य सरकार ने बीएड बेरोजगारों की अनदेखी कर दी ।
यदि सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय बीएड पर दांव लगाया होता तो उसके लिए अधिक श्रेयष्कर होता ।
प्रशिक्षण के विरुद्ध बीएड वाले हाई कोर्ट गये और स्थगन मिल गया परंतु खंडपीठ ने यह कहकर स्थगन हटा दिया कि यदि ये कार्यरत शिक्षक नहीं होंगे तो इनका प्रशिक्षण याचिका के अंतिम निर्णय के आधीन रहेगा अर्थात निरस्त होगा ।
प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2014 एवं 2015 में दो चरणों में लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हुआ।
समायोजन के लिए राज्य सरकार ने राज्य के बाल शिक्षा अधिकार कानून 2011 में प्रथम संशोधन करके शिक्षामित्रों को बगैर टीइटी के ही नियुक्त करने का नियम बनाया और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में 19वां संशोधन करके रूल 16 में उप क्लॉज़ जोड़ा और रूल 8 में शिक्षामित्र योग्यता को स्थान दिया ।
बीएड और बीटीसी बेरोजगारों ने समायोजन को चुनौती दी ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ० DY चंद्रचूड ने दोनों संशोधन रद्द कर दिया और शिक्षामित्रों को संविदाकर्मी बताकर उनका समायोजन निरस्त कर दिया ।
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यूपी बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 से इनका कोई सम्बन्ध नहीं है ।
शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण मामला NCTE पर छोड़ दिया ।
जब सुनवायी चल रही थी तो विजय राज भाई ने कहा कि राहुल भाई इलाहाबाद BSA का काउंटर चीफ साहब को दिखाया जाये तो मैंने कहा कि आप धैर्य रखें दुनिया का सर्वोच्च विद्वान के यहाँ सुनवाई हो रही है, अंत में सत्य खोज लेंगे ।
अंततः चीफ साहब ने संविदाकर्मी बताकर ही समायोजन निरस्त किया ।
ऑनलाइन वर्क में मैं थोड़ा कमजोर हूँ इसलिए श्याम देव मिश्र द्वारा खोजी गयी उमादेवी की नजीर को राजेश राव से मैंने मुकदमे में जिस तरह लिखाया था , चीफ साहब ने उसी शब्दों में आर्डर में उसे लिखाया है ।
शिक्षामित्र/सरकार सुप्रीम कोर्ट गये जहाँ पर उनको दिनांक 7.12.2015 को बीएड के 1100 याचियों को नियुक्ति देने की शर्त पर स्थगन मिला ।
मामला अभी पेंडिंग है ।

बेसिक शिक्षा शिक्षक सेवा नियमावली-1981 के 15वें व 16वें संशोधन से प्रतिस्थापित नियम 14(3) को असंवैधानिक

दि0 01 दिसम्बर 2016 को मा0 उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा शिक्षक सेवा नियमावली-1981 के 15वें व 16वें संशोधन से प्रतिस्थापित नियम 14(3) को असंवैधानिक घोषित करते हुए, उक्त नियमों से हुयी लगभग 90 हजार शिक्षक भर्तियों को रद्द कर दिया था।

उक्त आदेश के विरुद्ध कुछ विपक्षी लोग सर्वोच्च् न्यायालय गये लेकिन हमारे अधिवक्ता श्री अमित पवन जी व श्री आन्नद नंदन जी ने हमारी ओर से कैवियट दाखिल कर हाइकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश नहीं लगने दिया। अर्थात हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश ही प्रभावी रहना चाहिए।

01 दिसम्बर को आदेश आने के बावजूद भी स्टेट ने दि0 15 दिसम्बर 2016 को 12460 शिक्षक भर्तियों का विज्ञापन पहले से असंवैधानिक घोषित चयन नियमों पर ही विज्ञापित कर दिया, जो कि मा0 उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना हुयी।

पिछले साल भर से बीटीसी प्रशिक्षितों की, की जा रही ताबड़तोड़ भर्तियों के पीछे शासन का मुख्य उद्देश्य शिक्षामित्रों को टेट उत्तीर्ण कराकर उनकी नियमित नियुक्तियां करना और बीएड वालों के लिए सृजित पदों की उपलब्धता को पूर्णतयः खत्म करना ही रहा हैं।

फ़िलहाल 07 दिसम्बर 2016 को हमने मा0 सर्वोच्च् न्यायालय में याचिका दाखिल कर शिक्षामित्रों के किसी भी प्रकार के नियुक्ति पर रोक लगवा दी हैं। एवं उक्त अवैधानिक कृत्य के विरुद्ध हमने शासन को भी कई बार अवगत कराया परन्तु अवैधानिक कार्यों को करने पर आमादा विभाग के आला अधिकारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा हैं। अब देखना यह हैं कि आने वाली आगामी सरकार क्या मा0 न्यायालय के आदेशों की अवमानना करते हुए ऐसे अवैध गतिविधियों को जारी रखेगी या फिर न्यायायोचित शासन व्यवस्था का अनुपालन कर पिछले पाँच वर्षों से पीड़ित बीएड टेट उत्तीर्ण साथियों को उनका अधिकार भी दिलाएगी?

वस्तुतः भाजपा के जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक का नेतृत्व हमारे मामले से भली भाँति अवगत हैं, फिर भी सरकार के व्यवस्थित ढंग से स्थापित होने के पश्चात एक बार और प्रयास किया जायेगा और समस्या के न्यायायोचित समाधान की प्रार्थना की जायेगी। जिसमें हमारे सभी साथियों का लाभ निहित होगा।

अतः सरकार के व्यवस्थित होने (अर्थात मुख्यमंत्री, मंत्री और विभागों के निर्धारण होने) तक अनुरोध हैं कि आप लोग अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों के नवनिर्वाचित विधायकों को ज्ञापन सौपें और समस्या से अवगत कराएं। 

सुर्खिया 14/03/2017

*🌹🌞☕सुप्रभात ☕🌞🌹*



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*यूपीएससी में नौकरी, जल्द करें अप्लाई*

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में नए पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

*पद का नाम:*असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर एनालिस्ट

*पदों की कुल संख्या:* 15

*शैक्षणिक योग्यता:*मान्यताप्राप्त संस्थानों से बीई व अन्य निर्धारित योग्ताएं

*आयु सीमा:* न्यूनतम 18 वर्ष व अधिकतम 30 वर्ष निर्धारित

*अंतिम तिथि:* 30 मार्च, 2017

*आवेदन शुल्क:*

  आवेदन शुल्क के तहत 25 रुपये निर्धारित किए गए हैं। SC/ST/PH और महिला वर्ग के लिए नि:शुल्क।

*कैसे करें आवेदन:*

  उम्मीदवारों से इन पदों पर ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। उम्मीदवार संबंधित वेबसाइट पर क्लिक करके ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी करें।

संबंधित वेबसाइट का पता: www.upsconline.nic.in


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*AKTU : रिक्त सीटों पर मेरिट के आधार पर मिले दाखिला*

ब्यूरो/अमर उजाला, गाजियाबाद
एकेटीयू के कॉलेजों में दाखिले के लिए यूपीएसईई की अनिवार्यता के बाद प्रदेश के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अलग मोर्चा खोल दिया है। प्राइवेट कॉलेजों की एसोसिएशन यूपी टेक्निकल इंस्टीट्यूट फेडरेशन (यूपीटिफ) के एक प्रतिनिधि मंडल ने विवि प्रशासन से मिलकर उन्हें कई सुझाव दिए हैं।
बैठक में फेडरेशन ने पहले की तरह रिक्त सीटों को मेरिट के आधार पर भरने के नियम को लागू करने और सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों में अलग-अलग काउंसलिंग का भी सुझाव दिया। साथ ही एडमिशन में स्टूडेंट्स की स्क्रीनिंग सहित अन्य व्यवस्था को लागू करने का प्रस्ताव भी रखा।
यूपीटिफ महासचिव डा. अतुल जैन ने बताया कि विवि में हुई बैठक में यूपीटिफ प्रतिनिधियों ने सीटें खाली नहीं रहे इसके लिए किसी भी राज्य की तकनीकी प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने की बाध्यता से राहत देने की मांग की गई।
उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह सरकारी संस्थानों की काउंसलिंग कई चरणों और निजी कॉलेजों की काउंसलिंग एक चरण में कराई जानी चाहिए। फिर रिक्त सीटों पर मेरिट का निर्धारण कर प्रवेश लेने में छूट मिलनी चाहिए।
बैठक में यूपीटीयू वीसी प्रो. विनय कुमार पाठक ने प्राइवेट कॉलेज प्रतिनिधियों की मांगों पर विचार करने की बात कही है। एकेटीयू ने इस बार नया आदेश जारी कर प्रदेश के इंजीनियरिंग व तकनीकी कोर्सेज में दाखिले के लिए यूपी एसईई सहित जेईई मेन, एडवांस व अन्य राज्यों की तकनीकी प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की बाध्यता कर दी है। पहले से ही सीटें खाली रहने से परेशान इंजीनियरिंग कॉलेज नए आदेश से काफी परेशान हैं।



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*व्हाट्स एप पर भड़काऊ पोस्ट डालने के आरोप में चार गिरफ्तार*

व्हाट्सएप ग्रुप पर सांप्रदायिक भड़काऊ पोस्ट डालने के मामले में गाजियाबाद पुलिस ने पहली बार कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक मोबाइल भी बरामद किया है।
पकड़े गए आरोपी अजय चपराना उर्फ  बिट्टू, मुकेश यादव, प्रकाश दुबे निवासी मेवला महाराज पुर सेक्टर-31 फरीदाबाद और नकुल नागर निवासी एमएमजी अस्पताल कैंपस हैं। एसएचओ विजयनगर नीरज ने बताया कि पुलिस ने शनिवार देर रात विजयनगर तिराहे से गिरफ्तार किया है।
उन्होंने बताया कि मिर्जापुर गांव के रहने वाले अली नामक युवक ने 10 मार्च को शिकायत दी थी कि कुछ लोग एक व्हाट्स एप पर एक वीडियो जारी कर एक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी कर रहे हैं। इस वीडियो से होली के दौरान तनाव हो सकता है।
एसएचओ ने बताया कि पुलिस ने अली की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज कर चारों आरोपियों की तलाश में लग गई। पुलिस ने इसके लिए साइबर टीम और सर्विंलांस टीम की मदद ली। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल की लोकेशन से उन्हें धर दबोचा।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि अजय और मुकेश ने फरीदाबाद में रहकर एक वीडियो अपलोड किया है। इस वीडियो को प्रकाश नामक आरोपी ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया था। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने व्हाट्स एप पर आजाद युवा मोर्चा नाम पोस्ट अपलोड की थी।

*पहासू की घटना के बाद से अलर्ट पर है पुलिस*

एसएचओ ने बताया कि जिले की पुलिस को होली और पहासू में हुई घटना के बाद से अलर्ट पर किया गया है। उन्होंने बताया कि पहासू में फरवरी में हुई घटना के बाद से प्रदेश की पुलिस को सोशल साइट्स पर एक्टिव रहने के आदेश दिए हुए थे।


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*केवी स्कूलों में अब 15 तक करें आवेदन*

ब्यूरो/अमर उजाला, नई दिल्ली।
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कक्षा एक में आवेदन करने की तिथि बढ़ा दी है। अब अभिभावक अपने बच्चे के लिए होली के बाद भी 15 मार्च तक आवेदन कर पाएंगे। इसके साथ जो अभिभावक आवेदन कर चुके हैं वह दी गई जानकारी और फॉर्म की एक बार और जांच कर ले जिससे कमियों को दूर किया जा सके।
पूरी दाखिला प्रक्रिया ऑनलाइन है। केवी ने पहले दाखिले के लिए 10 मार्च तक का समय दिया था। अभिभावकों की मांग  पर इसे बढ़ाकर 15 मार्च कर दिया है। दाखिले के बाद दाखिले के लिए पहली सूची 22 मार्च को आएगी।
उसके बाद दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी। अभी तक कुल लाख से अधिक बच्चे दाखिले के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं। केवी का कहना है कि अभिभावक अपने फॉर्म दोबारा चेक कर लें।
अगर कोई कमी रह गई तो उसे ठीक कराने के लिए 15 मार्च के बाद मौका नहीं मिलेगा। केवी की कक्षा 2 से 9 (सीटें खाली होने पर) तक के लिए अगले माह 3 अप्रैल से 10 अप्रैल तक आववेदन का मौका मिलेगा।


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*शहर के स्कूलों में लगेंगे आधार कार्ड शिविर*

ब्यूरो/अमर उजाला, फरीदाबाद
आधार कार्ड नहीं होने के कारण प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल के विद्यार्थियों को सरकारी योजना से वंचित होना पड़ता है। ऐसे में शिक्षक संगठन अभिभावकों को जागरूक करने का कार्य करेगा। इसके लिए स्कूल में कैंप लगाकर बच्चों के आधार कार्ड बनाए जाएंगे।
जिले में कई बच्चे ऐसे हैं, जिनका अब तक आधार कार्ड नहीं बन सका है। जिसकी वजह से स्कूल में प्रवेश लेने पर परेशानी झेलनी पड़ती है। ऐसे में अभिभावकों को आधार कार्ड बनवाने के लिए कहा जाएगा।
इस वर्ष आधार कार्ड नहीं होने के कारण करीब 20 हजार बच्चों को यूनिफार्म की राशि अब तक नहीं मिल पाई। ऐसे में अब दाखिले के साथ ही आधार कार्ड से जोड़ने का काम किया जाएगा।
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान चत्तरसिंह ने बताया कि बच्चों का दाखिला होने के बाद स्कूल में शिविर के माध्यम से आधार कार्ड बनवाएं जाएंगे, ताकि बच्चों को यूनिफार्म की राशि मिलने में देरी न हो।


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*डीयू में मार्च से दाखिला प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद खत्म*

ब्यूरो/अमर उजाला, नई दिल्ली।
दिल्ली विश्वविद्यालय में सत्र 2017-18 की दाखिला प्रक्रिया अब मार्च के अंत में शुरू होने की संभावना न के बराबर है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते सीबीएसई की परीक्षाएं देरी से शुरू हुई हैं। ऐसे में अब डीयू प्रशासन अप्रैल अंत या मई के पहले सप्ताह से दाखिला प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
चुनावों के चलते सीबीएसई ने बोर्ड की परीक्षाएं मार्च से शुरू की हैं। ये परीक्षाएं अप्रैल के मध्य तक चलेंगी। परीक्षा में व्यस्त रहने के कारण 12वीं के छात्र दाखिला प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएंगे।
इसे देखते हुए डीयू प्रशासन अब बोर्ड परीक्षाएं खत्म होने के बाद दाखिला प्रक्रिया शुरू करेगा, ताकि छात्रों को कोई समस्या न हो। गौरतलब है कि डीयू में बीते साल तक दाखिला प्रक्रिया मई के अंत तक शुरू होती थी। मगर इस वर्ष से डीयू इसे पहले शुरू करना चाहता है।
साथ ही कॉमर्स के पाठ्यक्रम में सिर्फ कटऑफ नहीं, बल्कि प्रवेश परीक्षा के जरिये दाखिला मिलेगा। इसे लेकर डीयू प्रशासन की ओर से तैयारियां भी लगभग अंतिम चरण में हैं। पूरी दाखिला प्रक्रिया भी ऑनलाइन होगी।
डीयू में 55 हजार सीटों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से छात्र दाखिले के लिए आवेदन करते हैं। छात्रों को आवेदन और फीस भुगतान की सुविधा पूरी तरह से ऑनलाइन मिलेगी, जिससे उन्हें डीयू आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।



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*शिक्षा निदेशालय ने जारी किया एकेडमिक कैलेंडर, दाखिले की रेस 15 से*

ब्यूरो/अमर उजाला, नई दिल्ली
शिक्षा निदेशालय ने सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए एकेडमिक कैलेंडर जारी किया है। एकेडमिक कैलेंडर में निदेशालय ने दाखिला प्रक्रिया की तिथियों व स्कूलों में होने वाले अन्य कार्यक्रम व ग्रीष्मकालीन, शरद व शीतकालीन अवकाश के संबंध में जानकारी जारी की है।
अब सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छठे से आठवीं तक की कक्षाओं में दाखिले 15 मार्च से शुरू होंगे। जबकि ग्याहरवीं में दाखिले की तिथि दसवीं कक्षा के रिजल्ट जारी होने के बाद जारी की जाएगी।
राजधानी के सभी सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए यह कैलेंडर लागू होगा। कैलेंडर में दाखिले से लेकर पूरे होने वाले अवकाश व अन्य संचालित होने वाली गतिविधियों की जानकारी दी गई है।
कैलेंडर के मुताबिक छठी से आठवीं तक केदाखिले 15 मार्च से शुरु होकर 15 अप्रैल तक चलेंगे। जबकि ग्याहरवीं दाखिले दसवीं के रिजल्ट घोषित होते ही शुरू हो जाएंगे। इस कक्षा में दाखिले मेरिट आधार पर होंगे।
दाखिले के लिए पहली सूची 14 जून को आएगी जबकि इस सूची केआधार पर दाखिला लेने की अंतिम तिथि 17 जून निर्धारित की गई है। ग्याहरवीं में 31 जुलाई तक दाखिले पूरे कर लिए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि सरकारी स्कूलों में नर्सरी, केजी व पहली कक्षा में दाखिले की शुरुआत 4 मार्च से हो चुकी है। आवेदन करने की अंतिम तिथि 18 मार्च है। ऑनलाइन ड्रॉ ऑफ लॉट्स 22 मार्च को होंगे और इसी दिन पहली सूची जारी की जाएगी।
इस सूची के आधार पर 23 मार्च से 30 मार्च तक दाखिले होंगे। जबकि दूसरी से पांचवीं तक में दाखिले तीन अप्रैल से शुरु होंगे और सात अप्रैल तक आवेदन किया जा सकेगा। ड्रॉ ऑफ लॉट्स 11 अप्रैल को होंगे।

*ग्रीष्मकालीन अवकाश 11 मई से 30 जून तक*

कैलेंडर में साफ किया गया है कि इस वर्ष ग्रीष्मकालीन अवकाश 11 मई से शुरु होंगे व 30 जून तक चलेंगे। वहीं दशहरा अवकाश(शरद अवकाश) इस बार महज दो दिन 28 सितंबर व 29 सितंबर को होंगे। उल्लेखनीय हैकि बीते साल यह अवकाश तीन दिन हुए थे। शीतकालीन अवकाश 28 दिसंबर से 15 जनवरी 2018 तक होंगे



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*22 से ज्यादा देशों के छात्र जामिया में सीखेंगे पत्रकारिता के गुर*

ब्यूरो/अमर उजाला, नई दिल्ली।
जामिया मिलिया इस्लामिया कैंपस में शनिवार  से एक विशेष कार्यशाला शुरू हुई। जिसमें 22 से ज्यादा देशों के छात्र पत्रकारिता के गुर सीखने पहुंचे हैं। दस दिवसीय इस कार्यशाला का आयोजन विदेश मंत्रालय द्वारा एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर में करवाया जा रहा है।
खास बात यह है इस दौरान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भारतीय राजनीति की भी जानकारी दी जाएगी। कार्यशाला का उद्घाटन जामिया के कुलपति प्रोफेसर तलत अहमद ने किया।
कुलपति प्रो. अहमद ने इस मौके पर कहा कि पत्रकारिता का स्वरूप बदलता जा रहा है। उस पर कॉरपोरेट का वर्चस्व बढ़ने से आर्थिक पहलू ज्यादा प्रभावी हो गया है। ऐसे में पत्रकारों पर विवेकपूर्ण और निष्पक्ष पत्रकारिता की जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
कार्यशाला में नाइजीरिया, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका, मारीशस,  सेशल्स, मिस्र, जिंबाब्वे सहित अफ्रीका के 22 से ज्यादा देशों के 29 छात्र हिस्सा ले रहे हैं। विदेश मंत्रालय में वेस्ट अफ्रीका  डिविजन के डायरेक्टर दीपक पाठक ने कहा कि अफ्रीका दुनिया का उभरता हुआ महाद्वीप है और भारत विश्व की उभरती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था है।
ऐसे में  दोनों एक-दूसरे  के सहयोग को रफ्तार दे सकते हैं। भारत और अफ्रीकी देशों के बीच व्यापार 100 अरब डालर तक पहुंच चुका है जो उसका चौथा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है।



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*7 एकेडमिक इलेक्टिव व 34 वोकेशनल विषय समाप्त*

ब्यूरो/अमर उजाला, नई दिल्ली
सीबीएसई ने आगामी शैक्षणिक सत्र से 11वीं व 12वीं के सात एकेडमिक इलेक्टिव विषयों व 34 वोकेशनल विषयों को समाप्त कर दिया है। इस तरह से इन कक्षाओं में अब फिलॉस्फी व थियेटर स्टडी जैसे विषयों की पढ़ाई नहीं होगी।
विषयों को समाप्त करने के पीछे तर्क यह दिया गया है कि इन विषयों का चयन काफी कम छात्र कर रहे थे। डीयू स्नातक में दाखिले में कई एकेडमिक विषयों को मान्यता नहीं देता है। इन विषयों की पढ़ाई करने के बाद भी अंकों में कटौती का सामना करना पड़ता है।
सीबीएसई ने देशभर के स्कूलों को जानकारी भेज दी है कि अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र से इन विषयों की पढ़ाई नहीं होगी। हालांकि, जिन छात्रों ने सत्र 2016-17 में इन विषयों को लिया है, वे इसकी पढ़ाई करेंगे। लेकिन आगामी सत्र से इन विषयों को नहीं लिया जा सकेगा।


*7 एकेडमिक इलेक्टिव विषय*

फिलॉस्फी, क्रिएटिव राइटिंग एंड ट्रांसलेशन स्टडी, हेरिटेज क्राफ्ट, ग्राफिक डिजाइन, ह्यूमन राइट्स एंड जेंडर स्टडीज, थियेटर स्टडीज, लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस।

*34 वोकेशनल विषय*

पॉल्ट्री न्यूट्रिशन एंड फिजियोलॉजी, पॉल्ट्री प्रोडक्ट्स एंड टेक्नोलॉजी, पॉल्ट्री डिजीज एंड देयर कंट्रोल, फाउंडरी टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट ऑफ डेयरी एनिमल, मिल्क मार्केटिंग एंड इंटरप्रिन्योरशिप, डेयरी प्रॉडक्स टेक्नोलॉजी, नेल टेक्नोलॉजी एंड रिटेल, आर्ट एंड साइंस ऑफ मेकअप एंड रिटेल, एसटिमेशन इन सिविल इंजीनियरिंग, एलिमेंट्री स्ट्रक्चरल मकेनिक्स, ऑफिस कम्यूनिकेशन, एसी एंड रेफ्रिजेरेशन, रेडियोग्राफी, बॉयोलॉजी ऑपथेमेटिक, ऑप्टिकस, ऑप्थिमेटिक टेक्नॉलॉजी, लैब मैडीसन, क्लिनकल बॉयोकेमिस्ट्री, माइक्रोबॉयोलॉजी, रेडिएशन फिजिक्स, हेल्थ एजुकेशन कम्यूनिकेशन, फर्स्ट एंड इमरजेंसी मेडिकल केयर, चाइल्ड हेल्थ नर्सिंग, हेल्थ सेंटर मैनेजमेंट, इंटरग्रेटिड ट्रांसपोर्ट ऑपरेशन, बेकरी, कन्फेशनरी, म्यूजिक प्रोडक्शन, म्यूजिक एस्थेटिक्स शामिल हैं।


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*टीचर की नौकरी छोड़ जला रहा लोगों के घरों के चूल्हे*

कोटद्वार, [अजय खंतवाल]: देश के बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवक्ता पद पर तैनात एक युवक ने सिर्फ इसलिए सेवा से त्यागपत्र दे दिया, क्योंकि वह पद पर रहते हुए अपनी मातृभूमि की सेवा नहीं कर पा रहा था।
इस युवक ने नौकरी छोड़कर घर में मौजूद संसाधनों से ही नमकीन बनाने का कार्य शुरू किया। परिजनों का सहयोग मिला तो धीरे-धीरे मुहिम रंग लाने लगी और आज इस युवक के तैयार किए उत्पादों के कद्रदान देश ही नहीं, विदेशों में भी हैं। साथ ही इस युवक की बदौलत 15 घरों के भी चूल्हे जल रहे हैं। अब उनका ध्येय कारोबार बढ़ाने के साथ ज्यादा से ज्यादा युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है।
बात हो रही है कुमाऊं मंडल के ग्राम लंगारी (पिथौरागढ़) निवासी डॉ. अमित जोशी की, जिन्होंने अपनों को संबल देने के लिए ऐशोआराम की नौकरी को तिलांजलि दे दी।
अमित के इस प्रयास को सार्थक बनाने में उनके पिता ओपी जोशी व मां देवकी देवी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। चार भाइयों में सबसे बड़े अमित ने शुरुआती दौर में माता-पिता व भाइयों की मदद से सामान्य नमकीन का कारोबार शुरू किया।
माता-पिता घर में नमकीन बनाते और चारों भाई इसे घर-घर बेचकर आते। लोगों को उत्पाद पसंद आया तो उन्होंने स्टाल लगाकर नमकीन की बिक्री शुरू कर दी। बिक्री बढ़ने लगी तो स्थानीय युवाओं के लिए भी रोजगार के दरवाजे खुलने लगे।
वर्तमान में 'कुमाऊं नमकीन' के नाम से इस नमकीन की ऑनलाइन बिक्री हो रही है। अमित मंडुवा, भट्ट, सोयाबीन, गहथ, झंगोरा, मेथी व लहसुन की नमकीन बना रहे हैं। वर्तमान में उनके तीनों भाई अपनी-अपनी नौकरियों में हैं, सो कारोबार पिता ही देख रहे हैं।
40 वर्षीय डॉ. अमित बताते हैं कि आज उनके पास इजराइल, जर्मनी, साउथ अफ्रीका सहित कई अन्य देशों से नमकीन की डिमांड आ रही है। लेकिन, पर्याप्त संसाधन न होने के कारण वे इस डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहे।

*नहीं मिल रहा मंडुवा, झंगोरा भी दुर्लभ*

सरकार भले ही मंडुवा, झंगोरा, भट्ट जैसे उत्पादों को बढ़ावा देने के दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। अमित की मानें तो कुमाऊं में मंडुवा व झंगोरा नहीं मिल पाने के कारण वे इन उत्पादों के लिए गढ़वाल मंडल में आते हैं।
वर्तमान में प्रतिवर्ष 300 क्विंटल से अधिक मंडुवा व झंगोरे की नमकीन बन रही है। जिस तरह लगातार डिमांड बढ़ रही है, यह मात्रा भी कम पड़ती जा रही है। बताया कि दालों के लिए भी उन्हें यहां-वहां भटकना पड़ता है।

*मेहनत का मिल रहा फल*

अमित व उनके परिवार की ओर से पहाड़ में पलायन रोकने के लिए की जा रही इस छोटी सी कोशिश के परिणाम काफी सकारात्मक रहे। वर्ष 2004 में उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर 'नेशनल माइक्रो इंटरप्रेन्योर अवार्ड', वर्ष 2007 तीलू रौतेली पुरस्कार, वर्ष 2008 में नेशनल प्रोडेक्टविटी अवार्ड, वर्ष 2010 में राज्य लघु उद्योग पुरस्कार व वर्ष 2016 में उत्तराखंड विभूषण सम्मान मिल चुके हैं।


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*यहां गलती करने पर छात्रों को मिलती है ऐसी अनोखी सजा, जानिए..*

रुड़की, [जेएनएन]: अधिकांश शिक्षण संस्थानों में अनुशासनहीनता करने पर छात्र-छात्राओं से आर्थिक दंड वसूला जाता है, लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में नियमों का उल्लंघन करने पर छात्र-छात्राओं से योगा व सामुदायिक सेवा करवाई जाती है।
संस्थान ने नियमों का उल्लंघन करने वाले छात्रों को दंडित करने का अनोखा तरीका अपनाया है। पहले तो अनुशासन तोड़ने वाले छात्रों से केवल योगा करवाया जाता था, लेकिन अब सामुदायिक सेवा को भी इसमें जोड़ दिया है। जो छात्र किसी भी कारणवश योगा नहीं कर सकते हैं उन्हें अपने धर्म के अनुसार मंदिर, मस्जिद या फिर चर्च में एक घंटे प्रतिदिन अपनी सेवाएं देनी होती हैं।
यहीं नहीं, गलती के अनुसार छात्रों को 15 दिन से लेकर एक महीने तक वहां की साफ-सफाई करनी होती है। छात्र नियमित रूप से और सही ढंग से कार्य कर रहे हैं या नहीं, इसकी भी निगरानी की जाती है
संस्थान परिसर स्थित मंदिर में जहां पुजारी तो वहीं मस्जिद के मौलवी छात्रों के कार्य पर नजर रखते हैं। डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर से जुड़े एसोसिएट डीन भी कई बार औचक निरीक्षण करते हैं। साथ ही रजिस्टर भी मेंटेन किया जाता है
इसके अलावा जो छात्र दंड के रूप में योग की कक्षाएं करना चाहते हैं उन्हें भी रोजाना सुबह सवा छह से लेकर सवा सात बजे तक योग करना पड़ता है। यह कक्षाएं भी 15 दिन से लेकर एक महीने तक चलती हैं। आइआइटी रुड़की के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर (डीओएसडब्ल्यू) की ओर से छात्रों को दंडित करने के इस अनोखे ढंग से देश की कई अन्य आइआइटी भी प्रभावित हैं।
इस संबंध में उन्होंने संस्थान के डीओएसडब्ल्यू से भी जानकारी मांगी है। उधर, आइआइटी रुड़की के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. डीके नौडियाल के अनुसार छात्र किसी तरह की अनुशासनहीनता करते हैं तो उन पर आर्थिक दंड नहीं लगाया जाता है क्योंकि आर्थिक दंड तो उनके अभिभावकों को ही चुकाना होगा।
उनका प्रयास है कि छात्र कोई गलती करते हैं तो उनमें सुधार लाया जाए। ऐसे में उनसे योगा व सामुदायिक सेवा करवाई जाती है। छात्र अपनी रूचि के अनुसार इनमें से कोई भी कार्य चुनते हैं।

*छात्रों को लाभ*

डीओएसडब्ल्यू की ओर से छात्रों को योगा व सामुदायिक सेवा करवाने से छात्रों को ही इसका लाभ होता है। योग करने के लिए छात्रों को सुबह जल्दी उठना पड़ता है। ऐसे में जिन छात्रों को सुबह जल्दी उठने की आदत नहीं है वो अगली बार से अपनी गलती नहीं दोहराएंगे।
वहीं योग करने से वे शारीरिक व मानसिक रूप से भी खुद को फिट बना सकेंगे। सामुदायिक सेवा से उनको सामाजिक कार्यों को करने की सीख मिलती है।


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*आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान बांट रही यह महिला*

रुड़की, [रीना डंडरियाल]: एक ओर शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि मध्यम वर्ग उसका भार उठाने में सक्षम नहीं, उस पर ट्यूशन फीस ने तो उसकी कमर तोड़कर ही रख दी है। लेकिन, इस सारे परिदृश्य में ऐसे लोग भी हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान बांट रहे हैं। इतना ही नहीं, अपने इस पुनीत कार्य से वे औरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

रुड़की के पश्चिमी अंबर तालाब निवासी सुषमा सिंह (49 वर्ष) भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं, जो नि:स्वार्थ भाव से समाज सेवा कर रहे हैं। सुषमा पश्चिमी अंबर तालाब में चलाए जा रहे निश्शुल्क शिक्षा सेवा केंद्र बगिया की संचालक हैं। इस केंद्र में नर्सरी से लेकर स्नातक तक के नौनिहालों को पढ़ाया जा रहा है। वर्तमान में उनकी इस बगिया में 67 छात्र-छात्राएं आते हैं।

इन सभी के परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वे ट्यूशन फीस के रूप में मोटी रकम खर्च कर सकें। लेकिन, सभी भविष्य में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं। इसलिए सुषमा उनकी मदद को आगे आईं। इस कार्य में सुषमा की बेटी आरुषि राणा भी उनका हाथ बंटाती हैं।

सुषमा मूलरूप से झारखंड के डाल्टनगंज शहर के पास स्थित अररुआ गांव की रहने वाली हैं। बकौल सुषमा, 'गांव में मेरा पापा और चाचा ही पढ़े-लिखे थे। उनके बाद दोनों परिवारों के बच्चों को ही पढ़ने का मौका मिला। पापा आर्मी में थे, इसलिए मुझे रुड़की और अंबाला में भी शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला। शादी के बाद मैं रुड़की आ गई और अपने परिवार के ही छोटे बच्चों को पढ़ाने लगी।
अब सब बच्चे बड़े हो गए हैं। ऐसे में मैंने आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने की ठानी।' सुषमा के पास अधिकांश वे बच्चे आते हैं, जिनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है। जबकि कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जो बेहद कमजोर परिवारों से होने के कारण स्कूल ही नहीं जा पाते। सुषमा छोटे बच्चों को सभी विषय पढ़ाती हैं। उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए किया है।

विज्ञान वर्ग के बच्चों को गणित और विज्ञान पढ़ाना उनके लिए कठिन है। ऐसे में बगिया में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को विज्ञान और गणित उनकी बेटी पढ़ाती है। इस बच्चों को चार शिफ्ट में पढ़ाया जाता है। आरुषि स्वयं वर्तमान में केएलडीएवी पीजी कॉलेज में बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा है। सुषमा बताती हैं कि इस कार्य में उनके पति शेष सिंह राणा का भी उन्हें भरपूर सहयोग मिलता है।

*सप्ताह में सातों दिन चलती है कक्षा*

पहले तो सुषमा अपने घर पर ही बच्चों को पढ़ाती थी, लेकिन अब जैसे-जैसे बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है तो उन्हें अधिक जगह की आवश्यकता पड़ रही है। सो, अब वह पश्चिमी अंबर तालाब में स्थित एक धर्मशाला में कक्षाएं चला रही हैं। दोपहर ढाई से शाम साढ़े छह बजे तक चलने वाली कक्षाओं में सप्ताह के छह दिन वह बच्चों को पाठ्यक्रम से पढ़ाती हैं। जबकि, रविवार को उनकी रुचि के अनुसार कार्य कराया जाता है। इस दिन बच्चे आर्ट और क्राफ्ट सीखते हैं। कुकिंग में रूचि रखने वाली छात्राओं को मौखिक रूप से जानकारी दी जाती है।

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*यह छात्रा चाय बेच कर रही पढ़ाई, परिवार का उठा रही बोझ*

श्रीनगर गढ़वाल, [जेएनएन]: छह साल पहले परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा। मुफलिसी के दौर से गुजर रहे परिवार पर पहाड़ जैसी मुसीबत आने के बावजूद उस समय बिड़ला परिसर श्रीनगर की छात्रा अंजना रावत ने हौसला और साहस बनाए रखा और पिता के अचानक निधन के 15 दिनों बाद ही छोटी सी चाय की दुकान को संचालित करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ ही भाई, बहन और बुजुर्ग मां के भरण पोषण का भी जिम्मा उठा लिया।

तड़के श्रीनगर के पीएनबी रोड पर छोटी सी चाय की दुकान खोलकर हर रोज 11 बजे तक चाय की बिक्री करने के बाद दिन में कॉलेज जाकर  अध्ययन करने और उसके बाद पुन: दुकान में आकर चाय बनाने में जुट जाना उसकी दिनचर्या का अंग बना।
पिछले छह सालों में कई कठिनाइयों और परेशानियों का दौर झेला, लेकिन अपना साहस नहीं खोया। अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए अंजना अब समाजशास्त्र से एमए करने के साथ ही एमएसडब्ल्यू भी कर चुकी है। उसकी बहन भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्रतियोगी परीक्षा तैयारियों में जुटी है। भाई भी दिल्ली में नौकरी पर लग चुका है, लेकिन अंजना की दिनचर्या आज भी चाय की उसी छोटी सी दुकान से ही शुरू होती है। शिक्षा विभाग में उच्चाधिकारी बनना उसका विशेष सपना भी है।

सुबह-शाम चाय की छोटी सी गुमटी में कार्य करने के साथ ही दोपहर में वह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों को लेकर वह कोचिंग भी ले रही है। कुछ कर गुजरने की तमन्ना को लेकर वह जीवन में और आगे बढऩे का लक्ष्य लिए हुए है।

अंजना रावत ने बताया कि 23 दिसम्बर 2010 को अचानक उसके पिता गणेश रावत का निधन हो जाने से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ सा टूट पड़ा लेकिन उसने हौसला नहीं खोया और 15 दिनों बाद ही पीएनबी रोड पर चाय की दुकान संभालने लगी थी। उस समय एक लड़की को चाय की दुकान चलाते हर कोई हैरत में भी देखता था लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।


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*12,460 पदों पर शिक्षक भर्ती के लिए काउंसिलिंग 18 से, बेसिक शिक्षा परिषद ने काउंसिलिंग संबंधी जारी किए निर्देश*

*वेबसाइट पर अपलोड होगी अर्ह अभ्यर्थियों की सूची*

*25 मार्च को होगी दूसरे चरण की काउंसिलिंग*

*31मार्च को जारी होंगे नियुक्ति पत्र*

*22 व 23 को होगी चार हजार उर्दू शिक्षक भर्ती की काउंसिलिंग*


लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में 12,460 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए मांगे गए आवेदनों के बाद अब अर्ह अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग 18 मार्च से होगी। इस संबंध में परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेज दिए हैं।दरअसल, 12,460 पदों पर सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए 28 दिसंबर 2016 से 7 फरवरी 2017 तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। अब अर्ह अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू होनी है। जनपद स्तर पर मेरिट सूची तैयार करने संबंधी सभी कार्य मदर लिस्ट पर किया जाएगा। जनपद में निर्धारित पदों के प्रति दो चरणों में काउंसिलिंग का आयोजन किया जाएगा।दो चरणों में होगी काउंसिलिंगकाउंसिलिंग की प्रक्रिया दो चरणों में होगी। काउंसिलिंग की सूचना के लिए विज्ञप्ति का प्रकाशन उन जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रकाशित कराया जाएगा। प्रथम चरण की काउंसिलिंग 18 मार्च से 20 मार्च तक होगी। आवेदन करने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया जाएगा, जिनका चयन इन जनपद के बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी अथवा उर्दू बीटीसी प्रशिक्षित हो या डीएड विशेष शिक्षा, बीएलएड प्रशिक्षण उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के माध्यम से इस जनपद में प्रथम वरीयता के आधार पर ऑनलाइन आवेदन गया हो।
प्रथम चरण में अर्ह पाए गए अभ्यर्थियों की अनंतिम चयनसूची तैयार कने के बाद रिक्त पदों का विवरण प्रत्येक दशा में अनंतिम चयन सूची के प्रकाशन की तिथि को जनपद के एनआईसी की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाए। जिससे रिक्त पदों की सूचना अभ्यर्थियों को प्राप्त हो सके।
परिषद की ओर से भेजे गए निर्देश के मुताबिक प्रथम काउंसिलिंग के बाद अवशेष रिक्त पदों के प्रति 25 मार्च को द्वितीय काउंसिलिंग का आयोजन किया जाएगा। काउंसिलिंग में प्रदेश के किसी भी जनपद के ऐसे अभ्यथी प्रतिभाग कर सकते हैं, जिनका चयन प्रथम चरण की काउंसिलिंग में न हुआ हो। काउंसिलिंग में प्रतिभाग करने वाले अर्ह ऐसे अभ्यर्थी के मूल अभिलेख जमा करा लिया जाएगा जिनका अनंतिम चयन हो गया हो। लेकिन यदि कोई अभ्यर्थी काउंसिलिंग के बाद अनंतिम रूप में चयनित न हुआ हो तो उनके मूल अभिलेख काउंसिलिंग की तिथि के अगले ही दिन वापस कर दिए जाएंगे।दो चरणों की काउंसिलिंग के बाद जनपद में निर्धारित पदों के प्रति तैयार की गई अनंतिम चयन सूची में शामिल अभ्यर्थियों को प्रदेश के सभी जनपदों में 31 मार्च को नियुक्ति पत्र जारी करने की कार्यवाही की जाएगी।सहायक अध्यापक (उर्दू) के चार हजार पदों पर भर्ती के लिए काउंसिलिंग 22 व 23 मार्च को होगी। इसके लिए बीएसए 17 मार्च को काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी करेंगे। काउंसिलिंग के बाद अंनतिम चयन सूची तैयार कर जिला चयन समिति के माध्यम से 25 मार्च तक अनुमोदित कराया जाएगा। वहीं रिक्त पदों पर द्वितीय काउंसिलिंग 25 मार्च को होगी। जबकि चयनित अर्ह अध्यापकों को नियुक्ति पत्र 3 अप्रैल को जारी किया जाएगा।


🌹🌹🌹चलते चलते 🌹🌹🌹
🌹🌹🌹स्वास्थ्यचर्चा 🌹🌹

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*हेल्थ टिप्स:  इन 5 घरेलू नुस्खों से मिनटों में चमकाएं चेहरा!*


साफ और निखरता चेहरा पाने के लिए हम लोग क्या नहीं करतेहैं? लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिन्हें ये हासिल होता है। तरह-तरह के फेसपैक बनाने के लिए आजकल किसी के पास समय नहीं है। इसलिए आज हम आपको साफ चेहरे के लिए 5 आसान घरेलू नुस्खे बता रहे हैं।

*1-आलू*

अगर आप कहीं बैठे हैं और झटपट कहीं जाने का प्रोगाम बन रहा है। लेकिन आपको अपनेचेहरे पर डार्कनेसऔर कालापन दिख रहा है तो आप आलू का प्रयोग कर सकते हैं। आलू को कदूकस करें और 5 से 10 मिनट तक इसे चेहरे पर हल्का-हल्का रब करें। आपको तुरंत चेहरे पर निखार दिखेगा।

*2-मलाई और हल्दी*

बेजान और रुखी त्वचा के लिए मलाई और हल्दी का पेस्ट बहुत कारगार है। इस पेस्ट से पहले कुछ देर तक चेहरे पर मालिश करें और फिर 5 से 10 मिनट सूखने के लिए छोड़ दें। आपको अपने चेहरे पर नेचुरल ग्लो दिखेगा।

*3-पपीता*

स्किन टोनको हल्का करने के लिए पपीता बहुत काम की चीज है। पपीते से चेहरे पर शाईनिंग आती है और दाग-धब्बे भी दूर होते हैं। पपीते के गुदे को गुलाब जल में अच्छी तरहपीसकर पेस्ट बना लें। लगभग 15 मिनट के बाद चेहरा धो लें।

*4-टमाटर*

टमाटर में भारी मात्रा में एंटीआॅक्सीडेंट पाए जाते हैं। अकेले टमाटर के इतनी शक्ति होती है कि वो आपकी चेहरे से संबंधित हर समस्या को दूर कर सकता है। टमाटर का पेस्ट चेहरे पर लगाने से कई तरह के फायदे होते हैं। इससे झाईयां भी दूर होती है।

*5-तुलसी की पत्त्यिां*

तुलसी की पत्तियों का पेस्ट भी चेहरे के लिए बहुत सफल है। हालांकि ये कॉस्मेटिक क्रीम की तरह चेहरे पर तुरंतनिखार नहीं लाता है। लेकिन इससे चेहरे केदाग-धब्बे और गढ्ढेधीरे-धीरे भरते हैं। साथ ही तुलसी की पत्त्यिां चेहरे का सांवलापन भी दूर करती है।

शिक्षामित्र टेटुओं को कोसते है


टेटुओं भाई ज्यादा उछल कूद मत करो क्योकि वो भी सरकार हमारी थी और ये भी सरकार हमारी ही है। इस बार चुनाव में 2 i विधायक भी BJP से निर्वाचित हुए है।

( UP के 2 शिक्षामित्र भाईओं का विधायक बनने तक का सफर)
1👉 दरियाबाद से निर्वाचित BJP विधायक सतीश शर्मा जी बाराबंकी के सिद्धऔर ब्लॉक में शिक्षामित्र रहे उसके बाद लगातार दो बार जिला पंचायत का चुनाव पिछली बार 10 हजार वोट से जीते, इस बार सपा के कद्दावर नेता कृषि मंत्री राजीव कुमार सिंह जो की 7 बार विधायक व कई बार मंत्री रहे, उनको जनपद में सर्वाधिक 50 हजार वोटो से हराकर विधायक बने और मंत्री बनने की भी उम्मीद है।
        हमारे शिक्षामित्र समाज से सतीश शर्मा जी की बहन स्वाति शर्मा जी व नीलम शर्मा जी समायोजित शिक्षक है  तथा चाची साधना शर्मा जी शिक्षामित्र है जो अभी असमायोजित है।

2👉 दूसरे शिक्षामित्र से विधायक तक सफर करने वाले अमर सिंह चौधरी जी है जो सोहरत गढ़ सिद्धार्थ नगर से निर्वाचित हुए है। इनकी भी छोटी बहन समायोजित शिक्षक है।

क्या EVM मशीन में छेड़-छाड़ करके किसी पार्टी को जिताना संभव है?



(यह लेख मात्र एक विश्लेषण है,किसी पार्टी या दल के विचारों का खंडन या समर्थन करने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं है।

  कई बार यह आरोप लगाए जाते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में छेड़-छाड़ करके या किसी प्रकार की सेटिंग करके किसी पार्टी या व्यक्ति को हराया या जिताया जा सकता है।आज की निर्वाचन प्रक्रिया में यह असंभव है,विशेषतः तब जब कहीं सार्वत्रिक चुनाव किया जाना हो।ठीक से समझने के लिए हमें कुछ बातें जान लेना जरूरी है:

1) मतदान केंद्रों पर मशीनें पहुँचने से पहले कई बार जांची जाती है।चुनाव के काफी दिन पहले तज्ञों द्वारा FLC की जाती है।उस समय यह जांचा जाता है कि मशीन की सभी बटनें चालू है या नहीं।उस समय मॉक पोल करके देखा जाता है और यह पुष्टी की जाती कि क्या जिस बटन को दबाया गया ,मत उसी को मिला है? ठीक से मेमोरी चेक कर लेने के बाद उस मशीन को पास किया जाता है।

2) इसके पश्चात कैंडिडेट्स सेटअप और सीलिंग की प्रक्रिया कैंडिडेट्स या उनके प्रतिनिधियों के आगे अथॉरिटी द्वारा किया जाता है।इस समय भी मशीन को ठीक से चेक कर लिया जाता है।

3) मतदान के एक दिन पूर्व पोलिंग पार्टियां मशीन लेजाते से पूर्व यह पुष्टि करती है कि मशीन बराबर काम कर रही है या नहीं ,इस समय भी मॉक पोल करके देखा जाता है।

 4)एक्चुअल पोलिंग से पहले भी मॉक पोल की प्रक्रिया कैंडिडेट्स के प्रतिनियों के द्वारा की जाती है।जब इस बात की पुष्टि हो जाती है कि मशीन में सबकुछ बराबर है तभी एक्चुअल पोलिंग होती है।

5)कई बार यह भी कहा जाता है कि सत्तापक्ष द्वारा मशीनों में सेटिंग की जाती है तांकि अन्य कैंडिडेट के मत भी उन्हें ही मिलें परंतु यह करना असंभव है।क्योंकि हजारों मशीन में सेटिंग के लिए इतना समय नही होता।

 6) मशीने सीलबंद स्ट्रांग रूम में रखी जाती है।

Monday, March 13, 2017

शिक्षामित्रो की गलतफहमी

कुछ शिक्षामित्र बड़बोलापन कर रहे हैं कि सपा की तरह बीजेपी भी उनका फ़ेवर करेगी क्योंकि कई शिक्षामित्र या तो खुद या उनके रिश्तेदार बीजेपी से विधायक चुने गए हैं ,, शिक्षामित्रों की विडम्बना है कि उनके साथ सिर्फ राजनीति की जाती रही है,, राजनीतिक पार्टियों में भी बड़े-बड़े अधिवक्ता हैं,, जो ये भली-भांति जानते हैं कि अंततः होगा वही जो नियमतः विधिसम्मत होगा,, सपा भी जानती थी कि शिक्षामित्रों का समायोजन पूरी नियमो को ताख पर रखकर किया जा रहा है,, जो अंततः null & void होना ही है,, सपा का बस यही प्रयास था कि किसी तरह विधानसभा चुनाव निपट जाए,, फिर उसके बाद ये शिक्षामित्र रहें या जाए, क्या फर्क पड़ता है,, बीजेपी भी हमेशा से यही कहती रही है कि किसी के साथ अन्याय नही होने दिया जाएगा,, मतलब कोर्ट जो करेगी , न्याय ही करेगी,, बीजेपी का रिकॉर्ड रहा है कि सस्ती राजनीति के लिए इस पार्टी ने कभी भी कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नही किया है,, जीता-जागता उदाहरण मोदी जी का है,, जिन्होंने 2 वर्ष पूर्व बनारस के खुले मंच से शिक्षामित्रों के पक्ष में खुलकर बोला था,, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षामित्र नेताओ ने NCTE दफ्तर की परिक्रमा खूब की,, बीजेपी के नए -नवेले नेताओ जैसे वरुण गांधी और जगदम्बिका पाल भी शिक्षामित्रों के पक्ष में हांफते रहे,, दुनिया जानती है कि बीजेपी के आला कमान इन दोनों नेताओं को कितना भाव देते हैं,, इन दोनों नेताओं की बीजेपी में बहुत अधिक पूछ नही है,, 3 वर्ष बीत जाने के बाद भी कभी बीजेपी ने कोर्ट में इनके फ़ेवर में हलफनामा नही लगाया,, इनको सिर्फ मीठी गोली देती रही,, सोशल मीडिया और जमीन पर समाजवादी पार्टी और अखिलेश का जमकर फ़ेवर करने वाले शिक्षामित्रों की असलियत बीजेपी अच्छी तरह जानती है,, ये भी किसी से छुपा नही है कि इन्ही शिक्षामित्रों ने कही पर अखिलेश का मंदिर भी बनवाया है,, लगभग सभी ग्रुप्स में लगभग हर पार्टी के नेताओं की आई डी होती है,, जिससे उन्हें हर शैक्षिक संगठन का फीड बैक मिलता रहता है,, बीएड टीईटी वाले 5 वर्षों से सपा के विकल्प के रूप में बीजेपी को प्राथमिकता देते रहे हैं,, बीजेपी के नेताओ से मिलते रहे हैं,, जिसका 100% लाभ टीईटी वालो को मिलना सुनिश्चित हो चुका है,, जिसकी झलक बीजेपी के दो लीडिंग नेताओं श्री महेंद्र नाथ पांडेय एवं श्री केशव प्रसाद मौर्य जी द्वारा संसद में हमारा मुद्दा भी उठाया जा चुका है,, इलाहाबाद अनशन बीजेपी नेताओं ने इस शर्त पे तुड़वाया था कि सत्ता में आने पर आप हमारी पहली प्राथमिकता में होंगे,,, बीजेपी के संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों का ज़िक्र अवश्य किया गया था, क्योंकी बीजेपी का थिंक टैंक जानता था कि ये सपा के एकमुश्त वोटर हैं,, जबकि टीईटी वाले तो हमारे साथ हैं ही,,,
फिलहाल टीईटी वाले जल्द से जल्द योजना बनाकर बीजेपी वालों से बराबर मिलते रहें,, कोई भी मौका न छोड़ें,, जीत के बिलकुल करीब पहुँच चुके हैं,,
लोग विश्लेषण में लगे हैं हैं कि भाजपा की इतनी बड़ी जीत कैसे हो गयी? यह महज संयोग नहीं, प्रदेश के शिक्षित युवाओं का एक बड़ा तबका जल चुका था, मेरी नजर में एक नहीं अनेक कारण हैं, आप अपना कहिए
१- कानून व्यवस्था
२- बिजली के मामले पर क्षेत्रीय भेदभाव
३- भर्तियों में धांधली, पहली बार लोक सेवा आयोग तक में रिश्वतखोरी.
४- बिना टेट पास शिक्षामित्रों का योग्य न होने पर जबरन समायोजन और टेट पास २.५ लाख से ज्यादा बेरोजगारों की अनदेखी.
५- नौकरियों में क्षेत्र, जाति और पैसे को वरीयता.
६- भर्तियां निकालना पर उसे अन्जाम तक ठीक ढंग से न पहुंचाना.
मेरे विचार में जनता को दोष देने जिम्मदारी से बचना है, जनता ने वही किया जो उसे करना होता है, यदि जनता बहकावे में वोट दे देती है तो यह मानना पड़ेगा कि पॉच साल पहले सपा को बहकावे में आकर वोट दे दिया था. अखिलेश बबुआ को अपने शासन काल के कुकर्मों को भी देख लेना चाहिए. जनता को दोष देने से भविष्य अंधेरे में खो जाएगा.

आज से नकदी निकासी सीमा खत्म

आज से नकदी निकासी सीमा खत्म, खाताधारक अपने खाते में जमा जितनी चाहे उतनी राशि निकाल सकेंगे
नई दिल्ली : होली के पर्व के साथ लोगों को एक बड़ी मिलेगी। सोमवार से बचत खाते से नकद निकासी की सीमा को समाप्त कर दिया जाएगा। यानी खाताधारक अपने खातों में जमा जितनी चाहे उतनी राशि निकाल सकेंगे। इस पर कोई पाबंदी नहीं होगी। इसके साथ ही नोटबंदी के बाद विभिन्न खातों से निकासी पर लगाई गई सभी
प्रकार की सीमाएं समाप्त हो जाएंगी। अब तक बचत खातों से हर सप्ताह अधिकतम 50 हजार रुपये ही निकाले जा सकते थे। सरकार ने काले धन पर रोक लगाने, जाली मुद्रा और आतंकी वित्त पोषण को रोकने के लिए पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। आरबीआइ ने बैंक शाखाओं और एटीएम से नकदी की निकासी पर कई तरह की शर्ते लगा दी थीं। हालांकि, नकदी की स्थिति सुधरने के साथ समय-समय पर इनमें से ज्यादातर को हटाया जाता रहा। 13 मार्च से बचत खाते से नकद निकासी की सीमा को भी खत्म कर दिया जाएगा।1चालू खातों, ओवरड्राफ्ट और कैश क्रेडिट खातों से निकासी की सीमा 30 जनवरी को ही समाप्त कर दी गई थी। बचत खातों के लिए एक फरवरी से लोगों को अपने खातों से सप्ताह में 24 हजार रुपये निकालने की छूट दी गई थी। इसके बाद 20 फरवरी को नियम जारी किया गया कि ग्राहक एक सप्ताह में 50 हजार रुपये निकाल सकते हैं।

शिक्षा विभाग

*🌹🌞☕सुप्रभात☕🌞🌹*

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*होली की हर्षित बेला पर,*
*खुशियां     मिले     अपार |*
*यश,कीर्ति, सम्मान     मिले,*
*और      बढे        सत्कार ||*
       *शुभ-शुभ रहे हर दिन हर पल,*
        *शुभ-शुभ     रहे       विचार |*
        *उत्साह.   बढे  चित चेतन में*,
        *निर्मल      रहे        आचार ||*
*सफलतायें नित  नयी मिले,*
*बधाई                बारम्बार |*
*मंगलमय हो काज  आपके,*
*सुखी       रहे      परिवार ||*

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*आप सभी को सपरिवार होली की ढेर सारी  हार्दिक शुभकामनाएँ ।*

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*बीटेक की आधी सीटों पर शकुन्तला विवि और बाकी पर एसईई से होगा दाखिला*

*बीटेक की 50 फीसदी सीटों पर विवि की होने वाली प्रवेश परीक्षा के लिए 15 मई तक जमा होंगे फार्म*

*पॉलीटेक्निक छात्रों को भी सीधे बीटेक द्वितीय वर्ष में मिलेगा दाखिला*

लखनऊ। निज संवाददाता इंजीनियरिंग कोर्स की 50 फीसदी सीटों पर डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिला करेगा। बाकी आधी सीटें एसईई के जरिए भारी जाएंगी। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने पॉलीटेक्निक डिप्लोमा प्राप्त छात्र-छात्राओं को सीधे द्वितीय वर्ष में दाखिला देने का फैसला किया है। दाखिले के लिए 15 मई तक आवेदन किया जा सकता है। प्रत्येक कोर्स की 50 सीटें दिव्यांगों के लिए आरक्षित होंगी। चार वर्षीय बीटेक कोर्सों में दाखिले के लिए आवेदन फार्म मिलने शुरु हो गए हैं। फार्म ऑन लाइन और ऑफ लाइन दोनों ही माध्यम से अभ्यर्थी भर सकते हैं। प्रवेश परीक्षा के लिए ऑन लाइन आवेदन फार्म भरने के लिए अभ्यर्थी को विवि की वेबसाइट dsmnru.up.nic.in पर लॉगइन करना होगा। कोर्स की समन्वयक डॉ. विनोदनी कटियार ने बताया कि ऑफ लाइन आवेदन करने वाले अभ्यर्थी वेबसाइट से भी आवेदन फार्म डाउनलोड कर सकते हैं। साथ ही विवि में भी काउंटर से फार्म प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रवेश परीक्षा जून के पहले सप्ताह में होगी। सामान्य वर्ग के लिए आवेदन फार्म का शुल्क 1000 रुपए और दिव्यांगजनों के लिए 500 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है। हर कोर्स के प्रत्येक सेमेस्टर की फीस 42 हजार रुपए रखी गई है। बीटेक की सभी शाखाओं में दाखिले के लिए साइंस वर्ग से 12वीं पास होना जरुरी है।

*पांच कोर्स के नाम*

सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग,इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग,इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस कोर्स संचालित हैं। डॉ. विनोदनी ने बताया कि प्रत्येक शाखा में 60-60 सीटें निर्धारित हैं। इसमें से आधी पर राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) से दाखिले होंगे। शेष 150 सीटों पर विवि की प्रवेश परीक्षा से दाखिले होंगे।

*पॉलीटेक्निक डिप्लोमा धारक सीधे पाएंगे दाखिला*

डॉ. विनोदनी कटियार ने बताया कि चार वर्षीय बीटेक कोर्सो में पॉलीटेक्निक डिप्लोमा धारक को सीधे दाखिला मिलेगा। ऐसे अभ्यर्थी बीटेक कोर्स के द्वितीय वर्ष में दाखिला पाएंगे। इसके लिए उन्हें सम्बन्धित शाखा में डिप्लोमा प्राप्त होना चाहिए। द्वितीय वर्ष में रिक्त सीटों पर ही दाखिला दिया जाएगा। दाखिले के लिए आवेदन करने की अन्तिम तिथि 15 मई है।

*बुक स्टालों पर भी आवेदन उपलब्ध*

विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए प्रदेश के कई जिलों में आवेदन फार्म बुल स्टॉलों पर उपलब्ध कराएं हैं। इनमें लखनऊ, रायबरेली, वाराणासी, गोंडा और कानपुर शामिल हैं।

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*यूपी बोर्ड परीक्षा के बाद हो सकती है आईटीआई सेमेस्टर परीक्षा*

लखनऊ। निज संवाददाताआईटीआई की फरवरी में होने वाली सेमेस्टर परीक्षा यूपी बोर्ड की परीक्षा के बाद होने की उम्मीद है। राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद ने इस संबंध में नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) से बोर्ड परीक्षा के बाद सेमेस्टर परीक्षा कराने का आग्रह किया है। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 16 मार्च से शुरू होकर 21 अप्रैल तक चलेंगी। परिषद के संयुक्त निदेशक भगवत दयाल ने बताया कि सेमेस्टर परीक्षा का केन्द्र इंटर कॉलेजों में बनाया जाता है और वहीं के स्टॉफ परीक्षा कराते हैं। बोर्ड परीक्षा होने के कारण इंटर कॉलेज केन्द्र बनाने पर सहमत नहीं होंगे। इसको देखते हुए एनसीवीटी से सेमेस्टर परीक्षा बोर्ड परीक्षा समाप्त होने के बाद कराने के लिए कहा गया है। अब अन्तिम निर्णय एनसीवीटी को लेना है। उन्होंने बताया कि अब तक परीक्षा का कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है। ऐसे में उम्मीद है कि परीक्षा 22 अप्रैल के बाद ही होगी। गौरतलब है कि सेमेस्टर परीक्षा फरवरी में होनी थी, जिसका कार्यक्रम जारी कर दिया गया था। लेकिन विधान सभा चुनाव होने के कारण यूपी में परीक्षा को टाल दिया गया। इस परीक्षा में दो लाख से अधिक छात्र शामिल होते हैं।अप्रेंटिस की परीक्षा 18 अप्रैल सेसंयुक्त निदेशक ने बताया कि आईटीआई कर चुके छात्रों के अप्रेंटिस की परीक्षा 18 अप्रैल से होगी। यह परीक्षा करीब 5 दिनों तक चलेगी। इसमें पूरे प्रदेश से करीब 12 हजार छात्र शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इस बार नवम्बर व अप्रैल में होने वाली अपरेंटिस की परीक्षा साथ में हो रही है। वहीं सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत आईटीआई कर रहे छात्रों की बैक पेपर की परीक्षा 20 मार्च से होगी और 25 तक चलेगी। इसमें दो 15 सौ छात्रों के शामिल होने की उम्मीद है। एक साथ हो सकती है दोनो सेमेस्टर परीक्षापरिषद सूत्रों ने बताया कि आईटीआई की सम सेमेस्टर परीक्षाएं जुलाई महीने में होनी है। वहीं विषम सेमेस्टर परीक्षा 22 अप्रैल के बाद ही होने की उम्मीद है। ऐसे में यह हो सकता है कि विषम व सम सेमेस्टर परीक्षा दोनों एक साथ हो।



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*राज्य विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा 20 मार्च से*

इलाहाबाद हिन्दुस्तान टीम
इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्त महाविद्यालयों में स्नातक व परास्नातक की परीक्षा 20 मार्च से शुरू होगी। 321 परीक्षा केंद्रों में परीक्षा दो पालियों में सम्पंन कराई जाएगी। सुबह सात से 10 बजे पहली पाली और तीन बजे से शाम छह बजे तक दूसरी पाली में परीक्षा होगी। परीक्षा कार्यक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
कुलसचिव संजय कुमार ने बताया कि परीक्षा सम्बंधी गोपनीय कार्यों के लिए नोडल केंद्र बनाए गए केवल अनुदानित, राजकीय एवं कतिपय स्ववित्तपोषित महाविद्यालय तथा महिला महा विद्यालयों की परीक्षाएं स्वकेंद्र व्यवस्था के अंतर्गत होंगी। शेष सहशिक्षा के अंतर्गत संचालित महाविद्यालयों के परीक्षार्थियों की परीक्षाएं दूसरे केंद्रों पर कराई जाएगी। विद्यार्थियों को 15 मार्च से सम्बंधित महाविद्यालय से प्रवेश पत्र वितरित किया जाएगा।


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*आयोग ने मायावती के EVM छेड़छाड़ के आरोपों को किया खारिज*

नई दिल्ली,चुनाव आयोग ने ईवीएम से छेड़छाड़ करने के मायावती के आरोपों को खारिज किया। कहा यह आज तक सिद्ध नहीं होने पाया है कि छेड़छाड़ हो सकती है जबकि कई बार इसके लिये मौके दिये गये हैं। आयोग ने जवाब मायावती के पत्र के बाद शनिवार शाम को दिया।
आयोग ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया है जिनमें मशीनों के फूलप्रूफ पाया गया है। आयोग ने कहा चुनाव से पूर्व हर पोलिंग बूथ पर मशीन को 50 वोट डलवा कर अभ्यास किया जाता है जिसके बाद मशीन को सील किया जाता है जिस पर चुनावी दलों के प्रतिनिधियों के साइन होते हैं। आयोग 2000 से मशीनों के जरिये चुनाव करवा रहा है।
आयोग ने यह भी कहा मशीन में माइक्रो चिप को हमेशा के लिये बर्न कर दिया जाता है जिसे निकाला नहीं जा सकता। जवाब में आयोग ने यह भी कहा है कि बैलट यूनिट व कंट्रोल यूनिट में डिजिटल डायनेमिक कोडिंग का फीचर 2006 में जोड़ा गया है जिससे हर वोट का रियल टाइम व डेट रिकार्ड होती है। मशीन बिल्कुल फूलप्रूफ है।

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*सर्विसबुक गायब हुई तो खंड शिक्षाधिकारी पर दर्ज होगी एफआईआर*

मैनपुरी, हिन्दुस्तान संवाद
परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की सर्विसबुक गायब मामले को बीएसए ने गंभीरता से लिया है। बीएसए ने इस संबंध में कड़े निर्देश जारी किए हैं। बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को सभी सर्विसबुक की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। सर्विसबुक न मिलने की स्थिति में एफआईआर कराने की चेतावनी दी है।
जनपद के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत लगभग 200 शिक्षकों की सर्विसबुक गायब हैं। बीएसए ने जानकारी होने पर सभी खंड शिक्षाधिकारियों से सर्विसबुकों की जांच कर खंड शिक्षाधिकारी कार्यालय पर रखने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों से एक शपथपत्र भी मांगा है जिसमें बताया जाए कि उनके पास सभी कार्यरत शिक्षकों की सर्विसबुक उपलब्ध है। बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि एक सप्ताह में सभी शिक्षकों की सर्विसबुक दुरुस्त न मिलीं तो संबंधित खंड शिक्षाधिकारी को दोषी मानते हुए एफआईआर कराई जाएगी।

*पूर्व में एक शिक्षक से मिलीं थीं 7 सर्विसबुक*

मैनपुरी। चार दिन पूर्व बीएसए कार्यालय में ही कुरावली विकास खंड का एक शिक्षक अजयवीर सिंह 7 शिक्षकों की सर्विसबुक के साथ पकड़ा गया था। बीएसए ने इस शिक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है।

*दर्जनों शिक्षक अपने घरों पर रखे हैं सर्विसबुक*

मैनपुरी। सर्विसबुक एक गोपनीय अभिलेख है। जिसके अनुसार समय-समय पर लेखाविभाग के सहयोग से एरियर, पदोन्नति वेतनमान व अन्य देयकों का भुगतान होता है। सेवा समाप्ति पर भी सर्विसबुक के अनुसार ही जीपीएफ व पेंशन प्रकरण जारी होते हैं। लेकिन बीएसए ने जांच में पाया है कि कई शिक्षक अपने घरों पर ही सर्विसबुक रखे हुए हैं। खंड शिक्षाधिकारियों ने ऐसे शिक्षकों को नोटिस जारी किया है। बीएसए ने ऐसे शिक्षकों का वेतन रोकने के भी निर्देश दिए हैं।


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*15 मार्च से बीबीएयू और शकुन्तला विवि में होगी पढ़ाई*

लखनऊ। निज संवाददाताबाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय और डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 14 मार्च तक होली की छुट्टी रहेगी। दोनों ही विश्वविद्यालय में 15 मार्च से पढ़ाई शुरु होगी। दूसरी ओर डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की प्रवक्ता डॉ. अलका सिंह ने बताया कि विवि 14 मार्च को खुल जाएगा, लेकिन कक्षाएं 15 मार्च से चलेंगी। इसके साथ छात्रों का प्रोजेक्ट प्रेजेंटेशन शुरु हो जाएगा।


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*अगले शैक्षिक सत्र में लविवि का होगा नया पीएचडी आर्डिनेश*

लखनऊ। निज संवाददाताशैक्षिक सत्र 2017-18 में पीएचडी दाखिले नए पीएचडी आर्डिनेशन से होंगे। पुराने आर्डिनेशन बदलाव के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने तैयारी शुरु कर दी है। ऐसा राजभवन के निर्देश पर किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षिक सत्र 2016-17 में दाखिले के लिए बनाए गए नए पीएचडी ऑर्डिनेंस पर राजभवन ने कड़ी आपत्ति की थी। विश्वविद्यालय के शैक्षिक 2016-17 में जिस पीएचडी आर्डिनेशन पर दाखिले हुए थे। उस पर राजभवन ने आपत्ति के चलते करीब दो माह तक अपनी मंजूरी नहीं दी थी। कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने राजभवन को ऑर्डिनेंस में बदलाव करने की बात लिखकर दी। इसके बाद ही राजभवन ने दाखिले के लिए अनुमति प्रदान की। बताया जाता है कि विवि ने अपने 2016-17 ऑर्डिनेंस में जेआरएफ पास उत्तीर्ण छात्र को साक्षात्कार में 20 अंक अतिरिक्त दिया था। इसी पर कई छात्रों ने आपत्ति उठाते हुए कुलाधिपति (राज्यपाल) के यहां शिकायत दर्ज की थी। जिस पर राजभवन ने लविवि से जवाब मांगा था। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन अब राजभवन के निर्देश पर 2017-18 में होने वाले पीएचडी दाखिले के लिए नया ऑर्डिनेंस बनाने की तैयारी कर रहा है। इसमें जेआरएफ को 20 अंक अतिरिक्त की व्यवस्था समाप्त किए जाने पर मंथन लविवि प्रशासन कर रहा है। साथ ही नए आर्डिनेशन को बनाते समय लविवि प्रशासन राजभवन की उस आपत्ति पर भी ध्यान रखेंगा। जिसमें राजभवन ने कहा था कि जेआरएफ छात्र को विवि की प्रवेश परीक्षा से लेकर दाखिले तक चार तरह से आरक्षण का लाभ मिलता है।



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*छात्रों के लिए यूजर फ्रेंडली बनी बीबीएयू की प्रवेश परीक्षा वेबसाइट*

*फार्म समिट करने बाद भी त्रुटि में सुधार कर सकेंगा छात्र*

लखनऊ। निज संवाददाताबाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) की प्रवेश परीक्षा वेबसाइट छात्रों के लिए यूजर फ्रेंडली बनी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि फार्म जमा करने के बाद भी त्रुटि होने की दशा में उसे ठीक कर सकता है। साथ ही फार्म भरते समय छात्र को किसी दूसरे की सहायता की जरुरत नहीं पड़ेगी। बीबीएयू प्रवेश परीक्षा के समन्वयक डॉ. आरए खान ने बताया कि वर्तमान प्रवेश परीक्षा वेबसाइट में कई नए फीचर डाले गए हैं। ऐसा करते समय पिछले वर्षों को अनुभवों को ध्यान में रखते हुए छात्रों की तमाम दिक्कतों को दूर करने का प्रयास किया गया है, ताकि छात्र को आवेदन फार्म भरते समय किसी कठिनाई नहीं हो। बिना किसी के सहयोग के आवेदन फार्म आसानी से भर सकें। डॉ. खान ने बताया कि बीबीएयू की वेबसाइट bbau.ac.in पर छात्र को जाना होगा। वहां पर दिए गए प्रवेश परीक्षा वेबसाइट के लिंक पर क्लिक करना होगा। वेबसाइट पर जाने के बाद छात्र को किसी से पूछने की जरुरत नहीं है। सभी विकल्प के जरिए छात्र आसानी से कोर्स का विवरण, फीस की जानकारी और प्रवेश परीक्षा सिलेबस इत्यादि की जानकारी उसे उपलब्ध हो जाएगी। आवेदन फार्म भरते समय छात्र को चरणबद्ध तरीके से वेबसाइट खुद ही बताती जाएंगी कि उन्हें सफलता पूर्वक आवेदन कैसे करना है।

*एक साथ करे सकेंगे एक मुश्त कोर्स का चयन व फीस का भुगतान*

डॉ. आरए खान ने बताया कि वेबसाइट में इस बार यह व्यवस्था की गई है कि छात्र एक साथ कई सारे कोर्स चुन सकता है। साथ ही उसके आवेदन की एक मुश्त फीस का भी भुगतान कर सकता

*फार्म समिट करने के बाद भी त्रुटि सुधार हो सकेंगी*

पहली बार वेबसाइट में त्रुटि सुधार की व्यवस्था की गई है। डॉ. आरए खान ने बताया कि छात्र फार्म भर के जमा कर फीस का भुगतान कर चुका है। इसके बाद उसे पता चलता है कि फार्म में त्रुटि है, तो वह अपनी लॉगिन करके फार्म में त्रुटि को सही कर सकता है। साथ ही उसे सेफ कर सकेंगा। केवली फीस भुगतान के बाद कोर्स में छात्र बदलाव नहीं कर सकता है।


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*बीबीएयू में भी बीटेक और एमटेक में दाखिले के लिए आवेदन शुरु*

लखनऊ। निज संवाददाताबाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में अन्य कोर्सों के साथ ही बीटेक और एमटेक में भी दाखिले की प्रक्रिया शुरु हो गई है। इसमें ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों ही प्रकार से आवेदन किए जा सकते हैं। ऑफ लाइन आवेदन करने वाले अभ्यर्थी ऑनलाइन फार्म डाउन लोड कर सकते हैं। विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. विपिन सक्सेना ने बताया कि उनके यहां मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक एण्ड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग शाखा के बीटेक के कोर्स संचालित हैं। प्रत्येक शाखा में 30-30 सीटें हैं। इसमें दाखिले के लिए 12वीं 50फीसदी अंक के साथ उत्तीर्ण होना जरुरी है। साथ ही एमटेक में कम्प्यूटर साइंस और नैनो अप्टोइलेक्ट्रानिक की पढ़ाई हो रही है। इन कोर्सों में भी 30-30 सीटें रखी गई हैं। दाखिले के लिए सम्बन्धित शाखा में बीटेक 50 फीसदी अंक के साथ होना चाहिए। प्रो. विपिन ने बताया कि बीटेक और एमटेक दोनो ही में दाखिले के लिए आवेदन फार्म उपलब्ध हैं। बीटेक और एमटेक में दाखिले प्रवेश परीक्षा के जरिए ही होंगे।

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 *कल बीआरसी पहुंचेगा प्रश्नपत्र*

संतकबीर नगर : परिषदीय विद्यालयों की परीक्षा 18 मार्च से शुरू होगी। परीक्षा के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली है। 14 मार्च को डायट से ब्लाकों में प्रश्नपत्र पहुंचेगा। सील बंद प्रश्नपत्र खंड शिक्षाधिकारियों की देख-रेख में विद्यालयों पर पहुंचेगे।

सील बंद प्रश्नपत्र की को¨डग के अनुसार नौ ब्लाक के खंड शिक्षाधिकारियों को सौंपा। सुचारु रूप से प्रश्नपत्रों का वितरण कराकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया। बीएसए ने बताया कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में परीक्षा संपन्न कराई जाएगी। बोर्ड के चार सचल दस्ता विद्यालयों में सघन निरीक्षण करेंगे। ब्लाक में खंड शिक्षाधिकारी जिम्मेदारी निभाएंगे।

प्रथम पाली की परीक्षा 09.30 से 11.30 तथा द्वितीय पाली12.30 से 02.30 तक चलेगी।

परिषदीय विद्यालयों की परीक्षा के लिए अन्य जनपद के डायट से पर्यवेक्षक नियुक्त होंगे। वे पूरे समय रहकर जनपद में रहकर निगरानी करेंगे।

*नकल विहीन होगी परीक्षा*

परिषदीय विद्यालयों की कक्षा एक से आठ तक की परीक्षा नकल विहीन संपन्न कराई जाएगी। परीक्षा में कक्ष निरीक्षकों की तैनाती रोस्टर के हिसाब से होगी। आसपास के विद्यालयों के शिक्षकों को कक्ष निरीक्षक बनाया जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भी पारदर्शिता व निष्पक्षता से कराई जाएगी। कक्षा एक की मौखिक परीक्षा ¨हदी,गणित, अंग्रेजी तीन कार्य दिवस में समाप्त होगी। कक्षा दो व तीन की लिखित व मौखिक परीक्षा भी तीन दिन 18,20 व 21 को दो पाली में होगी। तीन से आठ के बच्चों की सभी विषय की परीक्षा लिखित होगी।

- गजराज यादव

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी


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*चुनाव परिणाम के बाद लखनऊ सचिवालय में फाड़ी गई ढेरों फाइलें*

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। विधानसभा चुनाव के परिणाम में एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की जीत का परचम बुलंदियों की ओर जा रहा था, दूसरी ओर अधिकारी उसी तेजी से स्याह-सफेद निर्णयों से भरी फाइल फाड़ने में मशगूल थे। सचिवालय व एनेक्सी (मुख्यमंत्री सचिवालय) में कई फाइलें फाड़कर कूड़े के ढेर में फेंकी गई। कुछ को बोरों में भरकर ले जाया गया है।
यूं तो वर्ष 2012 में बसपा को बेदखल कर सपा सत्ता में आई थी, उस समय भी बड़े पैमाने पर सचिवालय में फाइलें फाड़ी गई थीं। अब कल जब विधानसभा चुनाव के परिणाम आने शुरू हुए तब अवकाश के बावजूद सचिवालय व एनेक्सी के कई दफ्तर खोले गए और यहां रखी फाइलों को फाड़-फाड़कर कूड़े के ढेर में फेंका गया।
सतर्कता के साथ फाइलों के टुकड़े किये गये जिससे उनका कोई हिस्सा इस्तेमाल न किया जा सके। सचिवालय के मुख्य भवन की गैलरी में ऐसी ढेरों फाइलों के टुकड़े पड़े रहे। एनेक्सी के पीछे के हिस्से में भी ऐसी फाइलों का ढेर लगा था।

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*नकलमुक्त परीक्षा की बंधी आस*

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : सूबे की सत्ता में परिवर्तन के साथ यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा का स्वरूप भी बदलने की उम्मीद जगी है। यूपी बोर्ड की परीक्षा में धांधली व नकल का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई चुनावी सभाओं में किया था। यही कारण है कि सत्ता में परिवर्तन के बाद उसे दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है, क्योंकि पहले भी जब-जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, तब-तब बोर्ड परीक्षा में खासी कड़ाई बरती गई। वैसी कवायद फिर शुरू हो गई है। नकल माफियाओं पर नकेल लगाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक रविवार को भी अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मंत्रणा की।

यूपी बोर्ड की परीक्षा 16 मार्च से शुरू हो रही है। हाईस्कूल में 122140 व इंटरमीडिएट में 107109 परीक्षार्थी शामिल होंगे। इलाहाबाद जिले में 509 केंद्रों पर परीक्षा होनी है। इसमें 148 संवेदनशील और 22 अतिसंवेदनशील के रूप में शामिल हैं। ज्यादा गड़बड़ी गंगापार, यमुनापार स्थित संवेदनशील व अतिसंवेदनशील परीक्षा केंद्रों में होती है। अबकी ऐसा न हो, उसके लिए वहां उड़नदस्ते की विशेष नजर रहेगी। जिला विद्यालय निरीक्षक कोमल यादव का कहना है कि नकल करने व कराने वालों से कड़ाई से निपटेंगे।

*15 को होगी समीक्षा*

इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की परीक्षा नकलमुक्त कराने के लिए 15 मार्च को समीक्षा बैठक बुलाई गई है। जिला विद्यालय निरीक्षक कोमल यादव की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में उड़नदस्ते में शामिल अधिकारी व शिक्षक शामिल होंगे। इसमें कहां कब और कैसे छापामारी करनी है उसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

*15 से 30 मिनट में देंगे दस्तक*

इलाहाबाद : नकल रोकने के लिए अधिकारी कितना गंभीर हैं, उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर परीक्षा केंद्र में 15 से 30 मिनट के बीच उड़नदस्ते की टीम दस्तक देगी। परीक्षा शुरू होने से पहले कक्ष की गहन जांच होगी। गेट पर परीक्षार्थियों की जांच करने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा।

*सुरक्षा व्यवस्था रहेगी चुनौती*

इलाहाबाद : यूपी बोर्ड परीक्षा में सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा को लेकर रहती है। हर बार परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मियों का अभाव रहता है। स्थिति यह है कि संवेदनशील व अतिसंवेदनशील केंद्रों पर भी सिपाहियों की तैनाती नहीं होती। कुछ जगह एक-दो होमगार्ड के जवान लगे रहते हैं। जो नकल रोकने की जहमत करने के बजाय सिर्फ समय काटते हैं। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में खुलेआम नकल होती है। वहीं नकल रोकने वाले शिक्षकों के साथ मारपीट भी होती है। वर्ष 2014 में 34, 2015 में 23 और 2016 में 37 शिक्षकों के साथ मारपीट व धमकी देने की घटनाएं हुई हैं। अधिकतर ने संबंधित थाना पर उसकी शिकायत भी की, परंतु आरोपितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके चलते शिक्षकों में भय व्याप्त है। शिक्षक नेता डॉ. शैलेश पांडेय पुलिस, प्रशासन व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन देकर सुरक्षा की मांग कर चुके हैं।

बोर्ड परीक्षा पूरी तरह से नकलमुक्त होगी, हम जमीनीस्तर पर उसकी तैयारी कर चुके हैं। नकल करने व कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। रही बात सुरक्षा देने की तो उसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को इसके लिए अवगत कराया जा चुका है।

-कोमल यादव, जिला विद्यालय निरीक्षक


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*टीईटी उतीर्ण अभ्यर्थियों ने सांसद को सौंपा ज्ञापन*

फैजाबाद । टीईटी उतीर्ण अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के अनुपालन की मांग को लेकर भाजपा सांसद लल्लू सिंह को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि टीईटी उतीर्ण बीएड अभ्यर्थियों के सभी विधिक और राज्य स्तरीय मामलों की जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या को पहले ही दी जा चुकी है। हम नवनिर्वाचित सरकार से न्याय की अपेक्षा करते हुए योग्यता बनाम अयोग्यता की विधिक कार्यवाहियों में योग्यता को पहचान कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुपालन की मांग करते हैं। प्रतिनिधि मण्डल में शिवम पाण्डेय, अतुल पाठक, ओम प्रकाश श्रीवास्तव,मो. मुस्ताक, शैलेन्द्र तिवारी, ए.के. श्रीवास्तव, आलोक गुप्ता, प्रेमनाथ यादव, पवन कृष्ण श्रीवास्तव, मोतीलाल यादव, विश्राम यादव, एजाज अहमद, अजय यादव,शबनम, प्रियंका श्रीवास्तव, संध्या मौर्य, पूनम त्रिपाठी,राजेश तिवारी आदि शामिल थे।

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*13 मार्च से सेविंग अकाउंट से पैसे निकालने की लिमिट होगी समाप्त*

नई दिल्ली, एजेंसी नोटबंदी के बाद बचत खाताधारकों के लिए सबसे राहत वाली खबर आई है। वे 13 मार्च से अपने खातों से मनचाही राशि निकाल सकेंगे। साथ ही नोटबंदी के बाद विभिन्न खातों से निकासी पर लगी सभी प्रकार की सीमाएं समाप्त हो जाएंगी।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 फरवरी को चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक समीक्षा पेश करते हुए इसकी घोषणा की थी। उस समय बचत खातों से निकासी की साप्ताहिक अधिकतम सीमा 24 हजार थी, जिसे 20 फरवरी से 50 हजार रुपये किया गया था। चालू खातों, ओवरड्राफ्ट और कैश क्रेडिट खातों से निकासी की सीमा 30 जनवरी को ही समाप्त कर दी गई थी। साथ ही एक फरवरी से एटीएम से निकासी की सीमा भी समाप्त हो गई थी, लेकिन बचत खातों पर साप्ताहिक निकासी की सीमा बरकरार रहने से ऐसे खाताधारकों के लिए एटीएम से पैसे निकालने पर सीमा जारी है।

नोटबंदी के बाद आरबीआई ने पर्याप्त मात्र में नए नोट बैंकों तथा एटीएम में पहुंचने से पहले नकद निकासी की सीमा तय कर दी थी। जैसे-जैसे नए नोटों की आपूर्ति और अर्थव्यवस्था में उनका प्रचलन बढ़ता जा रहा है, आरबीआई नकद निकासी पर लगी सीमाओं में ढील देता जा रहा है, जबकि 13 मार्च से इन्हें पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। हालांकि इसके बावजूद बैंकों को अपनी ओर से एटीएम से पैसे निकालने की सीमा तय करने का अधिकार दिया गया है।

*राहत*

चालू खातों, ओवरड्राफ्ट, कैश क्रेडिट खातों से निकासी की सीमा 30 जनवरी को ही समाप्त कर दी गई थीअब खाताधारकों को मनचाही राशि निकालने की छूट मिलेगी

*कश्मीर में 37.20 लाख के पुराने नोट बरामद*

मध्य कश्मीर में बडगाम जिले के मझामा रेलवे स्टेशन पर शनिवार को 37.20 लाख के पुराने नोट और कुछ सोने के आभूषण बरामद किए गए। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। तलाशी के दौरान पुलिस ने इनके पास से 500 और 1000 के 37.20 लाख पुराने नोट बरामद किए। देश में नोटबंदी के बाद घाटी में यह पहली बरामदगी है। पुलिस जांच कर रही है।


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*शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए जावडेकर से होगी की मांग*

इलाहाबाद : इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षकों का पद लंबे समय से खाली है। प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर व लेक्चरर पदों पर जल्द विज्ञापन निकालकर भर्ती की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसके तहत 18 मार्च को प्रमोद शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर से मिलेगा। इसमेंइविवि में खाली पदों को भरने की मांग की जाएगी। प्रमोद शर्मा का कहना है कि इविवि में शिक्षकों के पांच सौ से अधिक पद खाली हैं। इसके चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं नई भर्ती को लेकर इविवि प्रशासन उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिसका खामियाजा विद्यार्थी भुगत रहे हैं। पढ़ाई न होने से उनका भविष्य चौपट हो रहा है। यह दशा सुधारने के लिए मानव संसाधन मंत्री से जल्द उचित कदम उठाने की मांग की जाएगी।


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*केंद्रों में कक्ष निरीक्षकों की और डिमांड*

फैजाबाद: माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा 16 मार्च से शुरू है। पर अभी विभागीय तैयारी पूरी नहीं हो सकी। विभाग ने वैसे तो माध्यमिक विद्यालयों से छह हजार शिक्षकों की तैनाती का दावा किया है लेकिन इन दिनों जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में कक्ष निरीक्षकों की तैनाती की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। कई प्रार्थना पत्र कक्ष निरीक्षकों को बदलने के लिए भी आए हैं। तो कई में विषयवार कक्ष निरीक्षकों की तैनाती की मांग की गई।

बीते दिनों माध्यमिक स्कूलों के छह हजार व बेसिक शिक्षा परिषद के दो हजार शिक्षकों की बतौर कक्ष निरीक्षक तैनाती का एलान किया गया था पर अभी तक बीएसए की ओर इसका अनुमोदन नहीं हुआ। इस बीच दर्जनों विद्यालय के लोग कक्ष निरीक्षक की तैनाती की मांग कर चुके हैं। एक विद्यालय के प्रबंधक ने बताया कि परिचय पत्र भी नहीं मिला है।


*कक्ष निरीक्षकों की फाइनल सूची जारी*

फैजाबाद: जिला विद्यालय निरीक्षक देवी सहाय तिवारी ने बताया कि कक्ष निरीक्षकों को लेकर जो भी शिकायत है, उसे शीघ्र ही दूर कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि रविवार को फाइनल सूची जारी कर दी गई है। इसमें प्रत्येक केंद्र में पर्याप्त मात्रा में कक्ष निरीक्षक तैनात किए गए हैं। इसे वाट्सएप ग्रुप पर भी डाल दिया गया है।


*15 मार्च के बाद सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल*


नई दिल्ली, एजेंसियां
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान लगातार तीन पखवाड़े पेट्रोल-डीजल की कीमतों की समीक्षा नहीं होने के बाद 15 मार्च की समीक्षा में आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।

पिछली समीक्षा के समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 55 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा थी जो पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आई बड़ी गिरावट के बाद अब घटकर 52 डॉलर प्रति बैरल के करीब रह गई है।

ऐसे में 15 मार्च को कीमतों की समीक्षा होने तथा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में दो से ढ़ाई रुपये प्रति लीटर तक की राहत की उम्मीद है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों की पिछली समीक्षा 15 जनवरी को की गई थी।

इसमें तेल विपणन कंपनियों ने मूल्य वर्धित कर (वैट) छोड़कर 16 जनवरी से पेट्रोल की कीमतें 42 पैसे तथा डीजल के दाम 1.03 रुपये बढ़ाये थे। वैट समेत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 54 पैसे तथा डीजल की 1.20 रुपये प्रति लीटर बढ़ी थी। पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों की समीक्षा हर पखवाड़े की जाती है।

तेल विपणन कंपनियों ने पिछले साल जून, अक्तूबर और दिसंबर में पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में पांच पैसे, छह पैसे, 12 पैसे और 13 पैसे जैसे मामूली बदलाव भी किए थे। लेकिन, 15 जनवरी के बाद अब तक कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है



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*अब आयोग की भर्तियों की होगी सीबीआई जांच!*

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
 प्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियाें की सीबीआई जांच की मांग कर रहे प्रतियोगियों में भी उम्मीद जगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं कई बार आयोग तथा अन्य संस्थाओं की भर्तियों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा चुके हैं। इतना ही नहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य तथा अन्य नेताओं ने छात्रों के आंदोलन की अगुवाई भी की थी। ऐसे में प्रतियोगियों का कहना है कि अब भाजपा के पास कोई बहाना नहीं है और आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच होकर रहेगी।
आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रतियोगी 2013 से आंदोलनरत हैं। इसमें भाजपा नेताओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इतना ही नहीं भाजपा तथा एबीवीपी ने प्रतियोगियों के समानांतर आंदोलन भी चलाया। लोकसभा चुनाव की चुनावी सभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि भाजपा की सरकार बनी तो आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच होगी। हालांकि, केंद्र में सरकार बनने के बाद गृहमंत्री तथा भाजपा के अन्य नेता पीछे हट गए।

उनका कहना था कि सीबीआई जांच की संस्तुति प्रदेश सरकार को करनी होगी। प्रदेश सरकार इसकी संस्तुति करती है तो केंद्र सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार है। हालांकि इस तर्क के बावजूद भाजपा नेता प्रतियोगियों के आंदोलन में शामिल रहे। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने एक बार फिर पीसीएस-2015 में एक छात्रा के साथ हुई नाइंसाफी का मुद्दा उठाते हुए सफाई की बात कही थी। ऐसे में प्रतियोगियों में उत्साह है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अवनीश पांडेय आदि कहना है कि अब भाजपा की केंद्र और प्रदेश दोनों जगह सरकार है। इसलिए कोई अड़चन नहीं है। अवनीश का कहना है कि समिति का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य से मिलकर सीबीआई जांच की मांग करेगा।
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*रोजगार के लिए नहीं पड़ेगी गाँव छोड़ने की जरूरत*

नई दिल्ली । केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इन दिनों स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के काम का बीड़ा उठाए हुए हैं। इसी के तहत कपास के पौधे के डंठल से, गेहूं या धान की फसल कटने के बाद बचे पुआल या भूसे से, गन्ने का रस निकालने के बाद बची खोई से, बांस या जंगली घास और खर-पतवारों से सेकेंड जेनेरेशन इथनॉल यहीं बनाने के लिए तेजी से काम शुरू हो गया है। इससे न सिर्फ ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि कच्चे तेल के आयात में खर्च हो रही महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। इसी सिलसिले में अमर उजाला के संवाददाता शिशिर चौरसिया ने पिछले दिनों नितिन गडकरी से बातचीत की। पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश:

प्रश्न- आपने स्वर्च्छ इंधन को बढ़ावा देने के लिए एक नई नीति बनाने की पहल की है। क्या दर्शन है इसके पीछे?

उत्तर- भारत हर साल करीब छह लाख करोड़ रुपये का कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) आयात करता है। हमारी सरकार यह सोचती है कि यहीं, देश में ही स्वदेशी विकल्प तैयार हो। हालांकि ऐसा पहले से ही हो रहा है और शीरे से इथनॉल बनाया जा रहा है। लेकिन मुश्किल यह है कि इथनॉल सिर्फ तीन फीसदी ही उपलब्ध है जबकि इसे पेट्रोल में 22 फीसदी तक मिला सकते हैं। आज पेट्रोल में मिश्रण के लिए 19 फीसदी और इथनॉल की जरूरत है। इसलिए हमने सेकेंड जनरेशन के इथनॉल को यहीं बनाने की योजना तैयार की है।

प्रश्न- इसे कहां बनाएंगे?

उत्तर- इसे यहीं, गांवों में बनाएंगे। इसके लिए कपास बीनने के बाद खेत में बचे पौधे के डंठल, गेहूं या धान की फसल कटने के बाद बचे पुआल या भूसे, गन्ने का रस निकालने के बाद बची खोई, बांस या जंगली घास और खर-पतवारों आदि से इथनॉल बनाने के लिए कारखाना लगाया जाएगा। इससे जहां कच्चे तेल के आयात बिल में उल्लेखनीय कमी आएगी, वहीं किसानों की आमदनी का अतिरिक्त जरिया शुरू होगा। हमारा अनुमान है कि इससे गांवों में करीब 25 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और ग्रामीण इलाकों में डेढ़ से दो हजार नए कारखाने लगेंगे। किसानों को भूसे की अच्छी कीमत मिलेगी तो उनके बच्चों को गांवों में ही रोजगार मिलेगा। आप इतना समझ लीजिए कि यह योजना लागू होती है तो देश के हर गांव में इतना रोजगार मिलेगा कि उन्हें गांव छोड़ कर शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

🌹🌹🌹चलते चलते 🌹🌹🌹


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*कान में लहसुन का कौर डालें और इन समस्याओं से छुटकारा पाएं*


*लहुसन के कौर से कान में हुए इन्फेक्शन से लड़ा जा सकताहै।*

*लहसुन के कौर से कान दर्द से तुरंत आराम मिलता है।*

*लहसुन के कौर से कान में हो रही जलन से मुक्ति मिलती है।*

क्या कभी आपने कान में लहसुन डाला है? शायद ज्यादातर लोग इस घरेलु समाधान से अवगत नहीं है।लेकिन तथ्य यह है कि लहसुन के कौर को कान में डालने से असंख्य लाभ हासिल होते हैं। साथ ही कई किस्म की बीमारियों से भी पार पाना हो तो लहसुन का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि कान में लहसुन का कौर डालने से क्या होता है? आइए जानते हैं।

*कान में दर्द होना*

यदि आपके कान में दर्द है, तो लहसुन के कौर कान में डाले रखने से दर्द में राहत मिलती है। इसके लिए आपको किसी प्रकार की मेहनत करने की जरूरत नहीं है। कान में लहसुन डालने से सबसे पहले कान गर्म होने का एहसास होता है। इसके बाद धीरे धीरे दर्द से राहत मिलती है। ऐसा नहीं है कि आप दवा का इस्तेमाल नहीं कर सकते, लेकिन लहसुन का कोई साइड इफेक्ट या नकारात्म्क प्रभाव नहीं है। लहसुन के कौर वैसे सामान्यतः रात को सोते समय कान में लगाना लाभकारी होता है।

*इन्फेक्शन*

यदि आपके कान में दर्द किसी इन्फेक्शन के कारण है, तो भी लहसुन का एक कौर आपकी मदद कर सकता है। दरअसल इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायर प्रोपर्टीज होते हैं, जो कि इन्फेक्शन में मदद कर सकते हैं। लेकिन हां, आपको यह बताते चलें कि यदि दर्द बहुत ज्यादा है और वजह पता नहीं है, तो बिना देरी किए डाक्टर से संपर्क करें। क्योंकि हो सकता है कि कान में जो दर्द है, वह इन्फेक्शन के कारण न हो। वैसे इन्फेक्शन में भी लहसुन काफी फायदेमंद है।

*फ्लू*

लहसुन खाने में बहुत गर्म होता है। यही कारण है कि तमाम विशेष लहसुन के एक कौर को सर्दियों में प्रत्येक सुबह पानी के साथ खाने को कहते हैं। लेकिन यदि आप लहसुन खाना पसंद नहीं करते जैसा कि सामान्यतः हर कोई नापसंद करता है। इसके पीछेवजह इससे आ रही बदबू है। बहरहाल यदि आप भी इसे खाने से परहेज करते हैं, तो इसे अपने कामन में लगा सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो फ्लू के कारण कई दफा कान में दर्द का एहसास होता है। ऐसेमें आप चाहें तो कान में लहसुन का कौर लगा सकते हैं। इससे जल्द आराम मिलता है। दवाई पर आश्रित रहने की आवश्यकता भी नहीं होती।

*सूजन*

यदि आपके कान में सूजन है, जिस कारण लगातार कान में खुजली हो रही है, तो ऐसी स्थिति में भी कान में कान में लहसुन के कौर का उपयोग किया जा सकताहै। इससे कान की सूजन कम होती है। साथ ही सूजन के कारण कान में आई लालिमा भी कम होती है। खुजलीमें कमी आती है। यदि सूजन के कारण किसी प्रकार की कान में जलन हो, तो उससे भी लहसुन के कौर कारणकमी आती है।

*जर्म्स*

लहसुन में जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है किएंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल प्रोपर्टीज होती हैं। अतः यदि आपके कान में जम्र्स के कारण दर्द हो रहा है, तो लहसुन में मौजूद ये प्रोपर्टीज आपके कान को राहत देने में मददगार साबित हो सकते हैं। वैसे भी लहुसन का एक कौर से आप भविष्य में होने वाली कान की समस्या से भी लड़सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप लहसुन के कौर का उपयोग करते हैं, तो भविष्य में होने वाली कान से संबंधित समस्याओं में गिरावट आती है।

*बेहतरीन तत्व*

लहसुन में कई किस्म के बेहतरीन तत्व है। इसमें विटामिन सी, और बी6, फाइबर, पोटाशियम, कैल्शियम आदि मौजूद है। अतः विशेषज्ञ इसे कान में लगाने के साथ साथ खाने की सलाह भी देते हैं। इसे आप काटकर किसी अन्य मिश्रण के साथ मिलाने की बजाय बेहतर है कि पूरा एक कौर पानी के साथ पीएं।