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याचिका संख्या 121/2016 प्रवेश बंसल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया की नाकामी और गंगादीन वर्मा की याचिका के रद्दी हो जाने के बाद बहुत से प्रयास हुए लेकिन कोई कामयाब नहीं हो सका, सभी का एक ही सेट डायलॉग है *समायोजन के फैसले के बाद ही होगा असमायोजितों का समायोजन।*
ऐसे में मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप ने पिछले छः माह में कई तरह से क़ानूनी आधारों का अध्ययन कर प्रयास किये और अंततः सफलता मिली और मिशन की याचिका स्वीकार हुई जिस पर एक विशेष बेंच में सुनवाई सुनिश्चित की गई है।
वहीँ दूसरी ओर प्रवेश बंसल की याचिका जोकि एसलपी 36033/2015 के समान मैटर पर आधारित होने के कारण टैग हो गयी जिस पर अब तक कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ इतना ही नहीं कोर्ट के दुबारा अंतिम समय देने के बाद भी लिखित बहस तक जमाँ नहीं की गयी है। साफ़ है इस पर कोई भी बहस समायोजन केस के अंत में ही होगी।
*जबकि मिशन की याचिका पर न सिर्फ सुनवाई होगी बल्कि एक विशेष पीठ द्वारा सुनवाई की जायेगी। इस याचिका का मुख्य आधार समान कार्य समान वेतन पर मौलिक नियुक्ति है। जिसके समर्थन में अकाट्य साक्ष्य पेश किये गए है जिसके कारण ये याचिका स्वीकृत हुई और सुनवाई हेतु सूचीवद्ध है।*
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।
याचिका संख्या 121/2016 प्रवेश बंसल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया की नाकामी और गंगादीन वर्मा की याचिका के रद्दी हो जाने के बाद बहुत से प्रयास हुए लेकिन कोई कामयाब नहीं हो सका, सभी का एक ही सेट डायलॉग है *समायोजन के फैसले के बाद ही होगा असमायोजितों का समायोजन।*
ऐसे में मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप ने पिछले छः माह में कई तरह से क़ानूनी आधारों का अध्ययन कर प्रयास किये और अंततः सफलता मिली और मिशन की याचिका स्वीकार हुई जिस पर एक विशेष बेंच में सुनवाई सुनिश्चित की गई है।
वहीँ दूसरी ओर प्रवेश बंसल की याचिका जोकि एसलपी 36033/2015 के समान मैटर पर आधारित होने के कारण टैग हो गयी जिस पर अब तक कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ इतना ही नहीं कोर्ट के दुबारा अंतिम समय देने के बाद भी लिखित बहस तक जमाँ नहीं की गयी है। साफ़ है इस पर कोई भी बहस समायोजन केस के अंत में ही होगी।
*जबकि मिशन की याचिका पर न सिर्फ सुनवाई होगी बल्कि एक विशेष पीठ द्वारा सुनवाई की जायेगी। इस याचिका का मुख्य आधार समान कार्य समान वेतन पर मौलिक नियुक्ति है। जिसके समर्थन में अकाट्य साक्ष्य पेश किये गए है जिसके कारण ये याचिका स्वीकृत हुई और सुनवाई हेतु सूचीवद्ध है।*
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।
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