कुछ शिक्षामित्र बड़बोलापन कर रहे हैं कि सपा की तरह बीजेपी भी उनका फ़ेवर करेगी क्योंकि कई शिक्षामित्र या तो खुद या उनके रिश्तेदार बीजेपी से विधायक चुने गए हैं ,, शिक्षामित्रों की विडम्बना है कि उनके साथ सिर्फ राजनीति की जाती रही है,, राजनीतिक पार्टियों में भी बड़े-बड़े अधिवक्ता हैं,, जो ये भली-भांति जानते हैं कि अंततः होगा वही जो नियमतः विधिसम्मत होगा,, सपा भी जानती थी कि शिक्षामित्रों का समायोजन पूरी नियमो को ताख पर रखकर किया जा रहा है,, जो अंततः null & void होना ही है,, सपा का बस यही प्रयास था कि किसी तरह विधानसभा चुनाव निपट जाए,, फिर उसके बाद ये शिक्षामित्र रहें या जाए, क्या फर्क पड़ता है,, बीजेपी भी हमेशा से यही कहती रही है कि किसी के साथ अन्याय नही होने दिया जाएगा,, मतलब कोर्ट जो करेगी , न्याय ही करेगी,, बीजेपी का रिकॉर्ड रहा है कि सस्ती राजनीति के लिए इस पार्टी ने कभी भी कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नही किया है,, जीता-जागता उदाहरण मोदी जी का है,, जिन्होंने 2 वर्ष पूर्व बनारस के खुले मंच से शिक्षामित्रों के पक्ष में खुलकर बोला था,, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षामित्र नेताओ ने NCTE दफ्तर की परिक्रमा खूब की,, बीजेपी के नए -नवेले नेताओ जैसे वरुण गांधी और जगदम्बिका पाल भी शिक्षामित्रों के पक्ष में हांफते रहे,, दुनिया जानती है कि बीजेपी के आला कमान इन दोनों नेताओं को कितना भाव देते हैं,, इन दोनों नेताओं की बीजेपी में बहुत अधिक पूछ नही है,, 3 वर्ष बीत जाने के बाद भी कभी बीजेपी ने कोर्ट में इनके फ़ेवर में हलफनामा नही लगाया,, इनको सिर्फ मीठी गोली देती रही,, सोशल मीडिया और जमीन पर समाजवादी पार्टी और अखिलेश का जमकर फ़ेवर करने वाले शिक्षामित्रों की असलियत बीजेपी अच्छी तरह जानती है,, ये भी किसी से छुपा नही है कि इन्ही शिक्षामित्रों ने कही पर अखिलेश का मंदिर भी बनवाया है,, लगभग सभी ग्रुप्स में लगभग हर पार्टी के नेताओं की आई डी होती है,, जिससे उन्हें हर शैक्षिक संगठन का फीड बैक मिलता रहता है,, बीएड टीईटी वाले 5 वर्षों से सपा के विकल्प के रूप में बीजेपी को प्राथमिकता देते रहे हैं,, बीजेपी के नेताओ से मिलते रहे हैं,, जिसका 100% लाभ टीईटी वालो को मिलना सुनिश्चित हो चुका है,, जिसकी झलक बीजेपी के दो लीडिंग नेताओं श्री महेंद्र नाथ पांडेय एवं श्री केशव प्रसाद मौर्य जी द्वारा संसद में हमारा मुद्दा भी उठाया जा चुका है,, इलाहाबाद अनशन बीजेपी नेताओं ने इस शर्त पे तुड़वाया था कि सत्ता में आने पर आप हमारी पहली प्राथमिकता में होंगे,,, बीजेपी के संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों का ज़िक्र अवश्य किया गया था, क्योंकी बीजेपी का थिंक टैंक जानता था कि ये सपा के एकमुश्त वोटर हैं,, जबकि टीईटी वाले तो हमारे साथ हैं ही,,,
फिलहाल टीईटी वाले जल्द से जल्द योजना बनाकर बीजेपी वालों से बराबर मिलते रहें,, कोई भी मौका न छोड़ें,, जीत के बिलकुल करीब पहुँच चुके हैं,,
लोग विश्लेषण में लगे हैं हैं कि भाजपा की इतनी बड़ी जीत कैसे हो गयी? यह महज संयोग नहीं, प्रदेश के शिक्षित युवाओं का एक बड़ा तबका जल चुका था, मेरी नजर में एक नहीं अनेक कारण हैं, आप अपना कहिए
१- कानून व्यवस्था
२- बिजली के मामले पर क्षेत्रीय भेदभाव
३- भर्तियों में धांधली, पहली बार लोक सेवा आयोग तक में रिश्वतखोरी.
४- बिना टेट पास शिक्षामित्रों का योग्य न होने पर जबरन समायोजन और टेट पास २.५ लाख से ज्यादा बेरोजगारों की अनदेखी.
५- नौकरियों में क्षेत्र, जाति और पैसे को वरीयता.
६- भर्तियां निकालना पर उसे अन्जाम तक ठीक ढंग से न पहुंचाना.
मेरे विचार में जनता को दोष देने जिम्मदारी से बचना है, जनता ने वही किया जो उसे करना होता है, यदि जनता बहकावे में वोट दे देती है तो यह मानना पड़ेगा कि पॉच साल पहले सपा को बहकावे में आकर वोट दे दिया था. अखिलेश बबुआ को अपने शासन काल के कुकर्मों को भी देख लेना चाहिए. जनता को दोष देने से भविष्य अंधेरे में खो जाएगा.
फिलहाल टीईटी वाले जल्द से जल्द योजना बनाकर बीजेपी वालों से बराबर मिलते रहें,, कोई भी मौका न छोड़ें,, जीत के बिलकुल करीब पहुँच चुके हैं,,
लोग विश्लेषण में लगे हैं हैं कि भाजपा की इतनी बड़ी जीत कैसे हो गयी? यह महज संयोग नहीं, प्रदेश के शिक्षित युवाओं का एक बड़ा तबका जल चुका था, मेरी नजर में एक नहीं अनेक कारण हैं, आप अपना कहिए
१- कानून व्यवस्था
२- बिजली के मामले पर क्षेत्रीय भेदभाव
३- भर्तियों में धांधली, पहली बार लोक सेवा आयोग तक में रिश्वतखोरी.
४- बिना टेट पास शिक्षामित्रों का योग्य न होने पर जबरन समायोजन और टेट पास २.५ लाख से ज्यादा बेरोजगारों की अनदेखी.
५- नौकरियों में क्षेत्र, जाति और पैसे को वरीयता.
६- भर्तियां निकालना पर उसे अन्जाम तक ठीक ढंग से न पहुंचाना.
मेरे विचार में जनता को दोष देने जिम्मदारी से बचना है, जनता ने वही किया जो उसे करना होता है, यदि जनता बहकावे में वोट दे देती है तो यह मानना पड़ेगा कि पॉच साल पहले सपा को बहकावे में आकर वोट दे दिया था. अखिलेश बबुआ को अपने शासन काल के कुकर्मों को भी देख लेना चाहिए. जनता को दोष देने से भविष्य अंधेरे में खो जाएगा.
No comments:
Post a Comment