महर्षि अगस्त्य
केरल के मार्शल आर्ट
कलरीपायट्टु की दक्षिणी शैली
वर्मक्कलै के संस्थापक आचार्य एवं आदि गुरु हैं।
[2] वर्मक्कलै निःशस्त्र युद्ध कला शैली है। मान्यता के अनुसार भगवान
शिव ने अपने पुत्र मुरुगन (
कार्तिकेय) को यह कला सिखायी तथा मुरुगन ने यह कला अगस्त्य को सिखायी। महर्षि अगस्त्य ने यह कला अन्य सिद्धरों को सिखायी तथा
तमिल में इस पर पुस्तकें भी लिखी। महर्षि अगस्त्य दक्षिणी चिकित्सा पद्धति '
सिद्ध वैद्यम्' के भी जनक हैं।
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