Tuesday, March 7, 2017

शिक्षा

शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है।[1]
शिक्षा, समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है। बच्चा शिक्षा द्वारा समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है। बच्चा समाज से तभी जुड़ पाता है जब वह उस समाज विशेष के इतिहास से रूबरू होता है।
शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल उपलब्ध कराती है। शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा की ‘शिक्ष्’ धातु में ‘अ’ प्रत्यय लगाने से बना है। ‘शिक्ष्’ का अर्थ है सीखना और सिखाना। ‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ हुआ सीखने-सिखाने की क्रिया।
जब हम शिक्षा शब्द के प्रयोग को देखते हैं तो मोटे तौर पर यह दो रूपों में प्रयोग में लाया जाता है, व्यापक रूप में तथा संकुचित रूप में। व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। मनुष्य क्षण-प्रतिक्षण नए-नए अनुभव प्राप्त करता है व करवाता है जिससे उसका दिन-प्रतिदन का व्यवहार प्रभावित होता है। उसका यह सीखना-सिखाना विभिन्न समूहों, उत्सवों, पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन आदि से अनौपचारिक रूप से होता है। यही सीखना-सिखाना शिक्षा के व्यापक तथा विस्तृत रूप में आते हैं। संकुचित अर्थ में शिक्षा किसी समाज में एक निश्चित समय तथा निश्चित स्थानों (विद्यालय, महाविद्यालय) में सुनियोजित ढंग से चलने वाली एक सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र निश्चित पाठ्यक्रम को पढ़कर अनेक परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना सीखता है।
औपचारिक शिक्षा के शामिल है व्यावसायिक शिक्षकों (professional teachers) द्वारा नियमशील अनुदेश, शिक्षण और प्रशिक्षण इन में शामिल हैं अध्यापन (pedagogy) और पाठ्यक्रम (curricula) के विकास का विनियोग एक उदार शिक्षा परंपरा में, शिक्षक अपने पाठ के लिए मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, सूचना प्रौद्योगिकी, भाषा विज्ञानं, जीव विज्ञान और समाजशास्त्र (sociology) सहित अलग अलग विषयों से प्रेरणा लेते हैं व्यवसायों के विशेषीकृत शिक्षक जैसे खगोल भौतिकी (astrophysics), कानून, या प्राणीशास्त्र शायद एक सीमित क्षेत्र में ही सिखाएं आमतौर पर उच्च शिक्षा के संस्थानों में प्रोफेसरों के रूप में जो विशिष्ट कुशलता चाहें, जैसे की उद्धरण के लिए वेह कुशलता जो पायलट (pilot) बन्नने के लिए आवश्यक है, उन के लिए व्यापार के क्षेत्र में विशेषीकृत अनुदेश का अधिक अवसर है अंततः, इस कारणवश अनौपचारिक क्षेत्र में बे हद्द सारे शैक्षिक अवसर हैं, समाज संग्रहालय (museums) और पुस्तकालयों जैसे संस्थाओं को बढ़ावा देता है। अनौपचारिक शिक्षा में शामिल है शिक्षा जो जीवन में व्यवसाय (profession) के व्यापारिक परिपाटी से प्राप्त की हुई हो सहित ज्ञान और सीखी गई कुशलता जो जीवन के दौरान और सुधरता है,
शिक्षा का अधिकार एक मूलभूत मानव अधिकार है १९५२ से यूरोपीय मानवाधिकार लोक संमति (European Convention on Human Rights) के अनुछेद २ का पहला प्रोटोकॉल सभी हस्ताक्षरकर्ता दलों को शिक्षा के अधिकार की गारंटी करने के लिए मजबूर करता है विश्व स्तर, पर संयुक्त राष्ट्र संघ' १९६६ के अंतरराष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संश्राव (International Covenant on Economic, Social and Cultural Rights) के तहत यह अधिकार अपने अनुच्छेद १३ के द्वारा इस अधिकार की गारंटी देता है।

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