Saturday, March 11, 2017

कबीर की मृत्यु


कबीर की दृढ़ मान्यता थी कि कर्मों के अनुसार ही गति मिलती है स्थान विशेष के कारण नहीं। अपनी इस मान्यता को सिद्ध करने के लिए अंत समय में वह मगहर चले गए ;क्योंकि लोगों मान्यता थी कि काशी में मरने पर स्वर्ग और मगहर में मरने पर नरक मिलता है। सदगुरू कबीर साहेब के जन्‍म को लेकर कई भ्रामक स्थितियां उनके सरल, सहज, समाज को सीधे चोट करने वाले शब्‍दों से आहात पाखंडी ब्राहणों व मोलवीयों ने फेलायी थी। पर वर्तमान समय में विज्ञान भी यह मानता है कि जो जन्‍म लेता है, वह सशरीर म़त्‍यु को प्राप्‍त होता है पर सदगुरू कबीर साहेब के साथ ऐसा नहीं है वह अजन्‍मे है तभी तो उन्‍होने हिन्‍दु मुस्लिम एकता के लिए अवतरित हुए और हिन्‍दु मुस्लिम एकता हेतु समाज को धर्म की ऐसी शिक्षा देने की सब में रमने वाला राम और रहीम एक ही है। उन्‍होने मगहर में अर्न्‍तध्‍यान हो संदेश दिया आज भी वहां स्थित मजार व समाधी स्थित है। जहां सदगुरू कबीर के शरीर के स्‍थान पर स्थित पुष्‍पों से उनका निमार्ण किया गया। अर्थात उनका शरीर था ही नहीं वह अजन्‍मे थे अवतारी पुरूष थे

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